युवा कवि साहित्यकार अनिल कुमार पाली के रचना, चुनाव म विकास के गोठ

                   
ये चुनई म बिकास के गोठ होना चाहि 




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ये बेरा म हमर देश म चुनाव के सोर हे जेमा सब्बो नेता अभिनेता मनखे मन कूदे हे, पहली के बेरा म अइसे लगे कि चुनाव के बेरा म नेता मन अपन परचार-परसार करे फेर अभी के बेरा म सब्बो मनखे मन चुनाव म लगे हे जिहा देखबे उहा नेता मन के पिछलग्घि धर के नेता मन के परचार करत हे, जइसे चुनाव ओहि मन लड़त हे, अउ ये चुनाव के बेरा अइसे माहोल हे कि जिहा दिखबे उहें परचार चलत हे सब ले जादा सोसल मीडिया म येखर चलन बाढ़ गे हे, फेर मनखे मन ल ये समझ म आना चाहि के चुनाव नेता मन के नइ हो के विकास के होना चाहि हमन कोनो भी नेता के कोती बोलदेथें अउ सब्बो झन ओला मानथे अउ नइ माने त ओखर विपरीत बोलथे, कोनो भी मनखे ह ये बात ल नइ सोचे कि नेता कोनो भी जीते ओ ह हमर देश हमर समाज के विकास करे, मनखे ल जेन चीज के जरूरत हे ओ चीज मनखे ल उपलब्ध कराये, नवा-नवा रोजगार के अवसर पैदा करे अगर कोनो अइसने नेता होही त ओला अपन परचार करे के जरूरत नइ पढ़ही काबर के ओखर परचार तो ओखर पांच बछर म करे काम ह करही, त ये विचार हमन ल अपन मन म जगाना चाहि, ये नइ के ओ नेता बने हे त ओ नेता बने हे कई के अपन आपस के मनखे मन ले लड़ाई-झगड़ा करे, मनखे मन ये बात ल नइ सुने के सब्बो नेता मन दुरिहा म बस एक दूसर के बारे म बोलथे, अउ संग म मिलथे त सब्बो चीज ल भुला के एक दूसर ल गले मिलथे हाथ मिलाथे, उमन के मन म बाद बर एक दूसर बर कोनो भी बुरा भावना नइ रहे, येही बात ल आम मनखे मन नइ समझे उखर नाव ले के आपस म झगड़ा करथे, अउ अपन आपस के संबंध ल ख़राब करथे, त येही गोठि बात ल सब्बो मनखे ल समझे ल लगही अउ सब्बो ल सुन के समझ बने गुन के अपन मत ल बढ़िया मनखे ल देना चाहि जेन ओखर अउ देश के विकास कर सके,

सब्बो के सुनत जाना हे,
चुनाव म बटन अपन मन ले दबाना हे

जय जोहार जय छत्तीसगढ़िया


युवा कवि साहित्यकार अनिल कुमार पाली तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़



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