छत्तीसगढ़ सँयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से कर रहा है आंदोलन: चुपी_तोड़, नियमितीकरण, नौकरी_वापस_दो

छत्तीसगढ़ सँयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से कर रहा है आंदोलन: चुपी_तोड़, नियमितीकरण, नौकरी_वापस_दो

छत्तीसगढ़ सँयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से कर रहा है आंदोलन: चुपी_तोड़, नियमितीकरण, नौकरी_वापस_दो



रायपुर । छत्तीसगढ़ सँयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ द्वारा सोशल मीडिया (facebook व twitter) के माध्यम से इसका उपयोग कर 1 जून 2020 से अनियमित कर्मचारियो के नियमितीकरण किये जाने व जिनकी नौकरी छीनी गई है उसे वापस दिलाने के लिए चुपी_तोड़, नियमितीकरण, नौकरी_वापस_दो आंदोलन का आगाज किया है जिसमे समस्त संविदा , दैनिक वेतन भोगी व अनियमित कर्मचारी को संवैधानिक शब्दों का उपयोग करते हुए अपनी बातों को प्रदेश के सभी विधायकों को tag करते हुए हम नियमितीकरण किये जाने की मांग को पुर जोर तरीके से उठाने की बात कही है।






छत्तीसगढ़ सँयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ लगातार विरोध प्रदर्शन कर अपनी मांगों ले कर चर्चा में रहें है परंतु शासन की ओर से केवल अस्वासन मिला उसके अतिरिक्त कुछ नहीं, जिसकी वजह से बहुत से विभागों द्वारा कर्मचारियों की छटनी भी लगातार की गई है






आप को बता दे कि अनियमित कर्मचारी संघ द्वारा जोरदार विरोधी प्रदर्शन करते हुवे आंदोलन किया गया था, जिसका समर्थन उस समय विपक्ष में रही कांग्रेस सरकार के द्वारा किया गया था, सत्ता में आने के बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा अनियमित कर्मचारियों के एक दिवसी धरना प्रदर्शन में स्वयं मुख्यमंत्री द्वारा उपस्थित होकर ' यह वर्ष किसानों का है परंतु आने वाला वर्ष कर्मचारियों का होगा' कहा गया था जिस वाक्य को एक वर्ष से अधिक हो चुके है जिसके वजह से अनियमित कर्मचारियों के द्वारा लगातार विभिन्न तरीकों से अपनी बात हाईकमान तक पहचाने का प्रयास किया गया, लेकिन अभी तक अनियमित कर्मचारियों को बस निराशा हाथ लगी है,






वर्तमान में कोरोना माहमारी की वजह से कोई भी आंदोलन सभा करने से मनाई है जिस कारण छत्तीसगढ़ सँयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ द्वारा अपनी बात शासन तक पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है।



छत्तीसगढ़ सँयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ लगातार विरोध प्रदर्शन कर अपनी मांगों ले कर चर्चा में रहें है परंतु शासन की ओर से केवल अस्वासन मिला उसके अतिरिक्त कुछ नहीं, जिसकी वजह से बहुत से





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