जय छत्तीसगढ़ महतारी…!!
जय छत्तीसगढ़ महतारी…पावन हे अँचरा भारी…!!
अन्न औषधि जइसन हे…तोर भुईंयाँ राजदुलारी…!
जय छत्तीसगढ़ महतारी…!…पावन हे अँचरा भारी…!!
जंगल म भरे हे खनिज संपदा
भुइंयाँ म सुखी तोर बेटी बेटा
बारिश उत्तम माटी उत्तम
उत्तम खेती-बारी…!
जय छत्तीसगढ़ महतारी…!…पावन हे अँचरा भारी…!!
परवत श्रृंखला मुकुट बरोबर
चरन पखारयँ नदी सरोवर
बन भँइंसा पहाड़ी मैना
साल पेंड़ चिन्हारी…!
जय छत्तीसगढ़ महतारी…!…पावन हे अँचरा भारी…!!
देवी-देवता के सेवा करइया
बात-बात म बदना बदइया
सिरी राम के दाई कउसिल्या
तोर अँचरा म रहिस कुआँरी…!
जय छत्तीसगढ़ महतारी…!…पावन हे अँचरा भारी…!!
कवि- जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर छत्तीसगढ़
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