दाई बिलासा के पावन पाँव, कवि-जोहन भार्गव जी

 

दाई बिलासा के पावन पाँव



केवट दल के मुखिया रामा बेटी ओकर बिलासा
अरपा तीर म डेरा डारिन बसे के जागीस आसा
चार सौ बछर के जुन्ना कथा अउ इतिहास के बानी
बंसी मेर बिहाव होगे पहाय लगिस जिनगानी
धीरे-धीरे कई जात बस गे कुरमी धोबी जुलाहा
तेली राऊत सतनामी नाउ भेंड़ी चरवाहा
एही बस्ती म बनबरहा के होए लगिस आतंक
बरहा मार के करिस बिलासा सगा समाज ल दंग
एक दिन एक सिपाही सुन्ना घर म धरिस बिलासा ल
लड़िस बिलासा भागिस सिपाही बद्दी भेजिस राजा ल
एक दिन सिकार म निकलिस राजा भटक गे‌ रद्दा ले
बनबरहा ले घायल  पहुँचिस गाँव बिलासा के
सेवा बिक्कट करिन बिलासा बंसी राजा साय के
ठीक होय के बाद बलाईस राजा डोली भेजाय के
दरबार पहूँच के दाई बिलासा धनुष कला देखाइस
बंसी के भाला विद्या देख  राजा साय मोहाइस
दिल्ली जा के जहाँगीर के सभा म हबरिस राजा साय
उहों बिलासा बंसी के सस्त्र कला बादशाह ल भाय
भारी नाम ईनाम कमाइस दाई कहाइस बिलासा
मोरो भारी भाग ए भाई मन लिख सकेवँ ओकर गाथा
गाँव के परिया खेती-खार,‌ सब राजा सँउपिस बिलासा ल
दाई बिलासा के पावन पाँव म जोहन नवावय माथा ल

कवि- जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर छत्तीसगढ़

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