छत्तीसगढ़ के भोजली तिहार


देवी गंगा देवी गंगा लहरा तू रंगा

छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्व भोजली तिहार


छत्तीसगढ़ के लोक संस्करीति हमर पारंपरिक तिहार भोजली के परंपरा ह कई जुग ले अइसने चलत आत हे, जेमा छत्तीसगढ़ी परंपरा म सावन के महिना सुरु होये के बाद छोटे-छोटे टोकरी म गेंहू,चउर, जव के दाना ल बोवाई कर के जगाये बर रख देथे, अउ भोजली दाई ले बने खेती किसानी होवय कई के विनती करथे, अउ येही परंपरा ल हमर छत्तीसगढ़ म मितान बदे के सुग्घर परब के रूप म घलोक मनाथे, जेन दिन मनखे मन अपन पसन्द के मनखे कने जीवन भर संगवारी रहे के परण ले के मितान बदथे, अउ एक दूसर के कान म दुबी घास ल खोचथे, तेखर बाद देवी गंगा के नाव ले गीत गा के ये परंपरा ले भोजली मोहत्सव ले रूप म बढ़ धूम-धाम ले मनाथे। हमर संस्करीति म भाई-बहनी के मया के सुग्घर तिहार रक्षाबंधन के दुसरइया दिन भोजली के तिहार ल सब्बो जगह मनाथे, ओहि दुसरइया दिन भोजली दाई ल बिदा करे बर नदिया-तरिया ले के जाथे, फेर हमर बेलासपुर म परंपरा के देखइया कोनो नइ हे, जिहां कई बछर ले अरपा नदी के तीर म भोजली घाट (पचरी घाट) बढ़ सुग्घर बनवाना रहिस हे तभो ले आज के बेरा तक बने निर्माण नइ कराये गे हे, भोजली दाई के बिदाई के दिन नदिया म जाये ले, भोजली घाट और अरपा नदी दुनो के हाल बढ़ बेहाल दिखथे, जेखर ले हमर परंपरागत भोजली मोहत्सव म कई ठन बाधा आथे, भोजली ल मुड़ी म बोह के ओला विसर्जन करे बर नदिया तक ले के लईका सियान मनखे मन जाथे अउ भोजली दाई के सुग्घर गाना बजाना कर के भोजली दाई ल बिदाई देथे, हमर बेलासपुर म भोजली दाई ल बिदाई देबर अरपा नदीय के तीर म भोजली घाट तो हवय फेर बस नाव के हे ओखर हाल ह बढ़ बेहाल हे, बिदाई के बेरा इंहा आये के बाद भोजली घाट ल देख के भोजली दाई के करेजा घलोक दुखत होही, जिहां ले ओला मनखे मन बिदा करे बर लाथे, ओखर दुर्दशा ह पहली ले अतना बिगड़े हे, जेला कोनो देखइया नइ हे, येही पाये के बेलासपुर के मनखे मन घलोक दुखी हे, अउ हमर भोजली दाई ह घलोक दुखी हे, तभो ले बेलासपुर म बढ़ धूम-धाम ले भोजली मोहत्सव के कार्यक्रम ल मनाये जाथे, अउ भोजली दाई ल मया दुलार ले बिदाई देथे,

युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़

मो:- 7722906664




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