कवि-अनिल, जस गीत



दाई के जस गीत सेवा जोहार

               जस गीत

छत्तीसगढ़हीन दाई ओ
पावन तोर माटी ओ
जग जननी ,जग तारण हारी
ममता माई ओ

कुवार महिना हरियर रंग म
तोर काया रंगाये ओ
दुर्गा काली चण्डी माता
तोर दरश बर आये ओ
महमाया तैय शीतला माई ओ
जग जननी ,जग तारण हारी, ममता माई ओ

हरियर धान के बाली दाईं
देख तोला लहरावय ओ
चंन्दन माटी तोर कोरा के
माथ म तिलक लगावय ओ
संमलाई तैय मडवारानी ओ
जग जननी, जग तारण हारी, ममता माई ओ

तोर कोरा के छंईहा भूईया
देवता सबो बिराजे ओ
अन्नपूर्णा तैय लक्ष्मी दाई
धान कटोरा कहाये ओ
बंनजारी तैय दन्तेश्वरी ओ
जग जननी, जग तारण हारी, ममता माई ओ

नव दिन नव रूप धराये
जग माता कहाये ओ
तोर दरश बर अनिल आये
लाली चुनरी चडाये ओ
चन्द्रसेनी तैय बम्लेश्वरी ओ
जग जननी, जग तारण हारी, ममता माई ओ
छत्तीसगढ़हीन दाई ओ, पावन तोर माटी ओ
जग जननी, जग तारण हारी, ममता माई ओ


          👏 छत्तीसगढ़हीन दाई ओ 👏                                       रचनाकार - अनिल जाॅगडे                                         भैसबोड (बिल्हा ) बिलासपुर

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