छत्तीसगढ़ी साहित्य ला पोठ करके छंद ला बगराय के उदीम करत हे छंद के छ परिवार ...........................
पहिली हमर छत्तीसगढ़ी साहित्य मा छंद रचना बहुत ही कम लिखे गे हे , पंडित सुंदरलाल शर्मा जी मन अपन समय में छत्तीसगढ़ी मा छंद रचना करे रहिन , उनकर छंद रचना संग्रह "दानलीला" अब्बड़ चर्चित होइन , उनकर बाद कोदूराम"दलित" जी मन छत्तीसगढ़ी भाखा मा छंद रचना करिन उनकर छंद संग्रह "सियानी गोठ" हर अब्बड़ चर्चित होइस , अइसने कुछ दुवे - चार झन साहित्यकार मन होइन ओ समय में जउन मन छत्तीसगढ़ी मा छंद लिखत रहिन , ओ समे भी साहित्यकार मन के कोई कमी नइ रहिन , उनकर बाद फेर छत्तीसगढ़ी साहित्य मा अंधियारी छाय कस होंगे रहिस , छंद रचना लिखइयाँ मन के कमीच पड़गे रहिस , अइसे लागत रहिस मानो अब छत्तीसगढ़ी मा छंद हर बिल्कुल नंदा जाही , अइसन बेरा मा स्वर्गीय कोदूराम "दलित" जी मन के बेटा श्री अरुण कुमार निगम जी मन उनकर चलाय बेड़ा ला अपन हाथ मा लीन , अउ छत्तीसगढ़ी मा छंद के छ नाव ले अपन छत्तीसगढ़ी मा छंद संग्रह के किताब निकालिन "छंद के छ" जेमा पचासो परकार के छंद ले ऊपर छंद रचना संग्रह मन के संगे संग , उखर सुग्घर विधान ला पूरा बताय गेहे , श्री अरुण कुमार निगम जी मन के ये किताब छंद के छ हर मानो छत्तीसगढ़ी साहित्य मा फेर ले परान ड़ालदिन , अउ पुनः शुरू ले छत्तीसगढ़ी मा छंद रचना लिखे के एक नवा शुरवात करिन , श्री निगम जी मन के छत्तीसगढ़ी के संगे संग हिंदी मा घलो "चैत की चंदनियाँ" नाव ले छंद संग्रह के किताब प्रकाशित हे , जउन हर राष्ट्रीय स्तर मा अब्बड़ चर्चित हे , आदरणीय श्री निगम जी मन देखिन की हमर छत्तीसगढ़ी भाखा मा साहित्य हे तौन हर निमगा कमजोर होवत जावत हे , अउ हमर छत्तीसगढ़ी भाखा के साहित्यकार मन के रचना मन मा घलो व्याकरण दोष अब्बड़ दिनों दिन बाढ़त हावय , अगर इनला रोके नइ जाही तब तक ये मा कोनो भी परकार ले सुधार नइ हो पाही कहिके , आदरणीय अरुण कुमार निगम जी मन हर "छंद के छ" के नाँव ले ऑनलाइन छंद सिखाय के कक्षा शुरू करिन , अउ कक्षा मा नियमित साधक लेके , श्री निगम जी मन ओ मन ला छंद के छोटे से छोटे बारीकी ला समझावत , छंद के मांत्राबाट अउ उनकर विधान ला सिखावत छत्तीसगढ़ी मा छंद रचना लिखे बर अपन साधक शिष्य मन ला प्रेरित करत आनी - बानी छंद लिखे बर सिखावत गीन , आज श्री अरुण कुमार निगम जी मन के बनाय छंद के छ कक्षा हर कक्षा भर नइ रहिके आज एक ठन क्रान्ति बनगे हावय , आज हमर छत्तीसगढ़ प्रदेश के सबो अंचल ले उनकर साधक मन जुड़े हावय , अउ श्री अरुण कुमार निगम जी मन ले छंद सिख के , आज पचासो परकार के छंद मा रचना करत हावय , आज के अइसन दौर मा जब मनखे मेर अपन खुद बर समय नइ मिलय , अइसन समय मा श्री निगम जी मन ये छंद सिखाय के जउन उदीम करिन हे ओहा वाकई मा अनुकरणीय हे , आज हमर छत्तीसगढ़ मा 100 ले भी ऊपर साहित्यकार साधक मन छत्तीसगढ़ी मा सुग्घर विधान सम्मत बिना गलती के छंद मा सुग्घर रचना करत हावय आनी बानी छंद मा , ये सबो के श्रेय छंद परिवार के संस्थापक श्री अरुण कुमार निगम जी मन ला जाथे , जउन मन छत्तीसगढ़ी भाखा मा छंद ला पुनर्स्थापित करके छत्तीसगढ़ी भाखा ला पोठ अउ समृद्ध करे के सुग्घर उदीम करिन अउ छत्तीसगढ़ी भाखा मा फेर छंद के स्थापना करके छंद ला बगराइन , उनकर अइसन अथक परयास हर वाकई मा अनुकरणीय हे , उनकर अइसन योगदान हर छत्तीसगढ़ी साहित्य बर एक दिन बिल्कुल "मिल के पत्थर" साबित होही ।
मयारू मोहन कुमार निषाद
गाँव - लमती , भाटापारा , छत्तीसगढ़
पहिली हमर छत्तीसगढ़ी साहित्य मा छंद रचना बहुत ही कम लिखे गे हे , पंडित सुंदरलाल शर्मा जी मन अपन समय में छत्तीसगढ़ी मा छंद रचना करे रहिन , उनकर छंद रचना संग्रह "दानलीला" अब्बड़ चर्चित होइन , उनकर बाद कोदूराम"दलित" जी मन छत्तीसगढ़ी भाखा मा छंद रचना करिन उनकर छंद संग्रह "सियानी गोठ" हर अब्बड़ चर्चित होइस , अइसने कुछ दुवे - चार झन साहित्यकार मन होइन ओ समय में जउन मन छत्तीसगढ़ी मा छंद लिखत रहिन , ओ समे भी साहित्यकार मन के कोई कमी नइ रहिन , उनकर बाद फेर छत्तीसगढ़ी साहित्य मा अंधियारी छाय कस होंगे रहिस , छंद रचना लिखइयाँ मन के कमीच पड़गे रहिस , अइसे लागत रहिस मानो अब छत्तीसगढ़ी मा छंद हर बिल्कुल नंदा जाही , अइसन बेरा मा स्वर्गीय कोदूराम "दलित" जी मन के बेटा श्री अरुण कुमार निगम जी मन उनकर चलाय बेड़ा ला अपन हाथ मा लीन , अउ छत्तीसगढ़ी मा छंद के छ नाव ले अपन छत्तीसगढ़ी मा छंद संग्रह के किताब निकालिन "छंद के छ" जेमा पचासो परकार के छंद ले ऊपर छंद रचना संग्रह मन के संगे संग , उखर सुग्घर विधान ला पूरा बताय गेहे , श्री अरुण कुमार निगम जी मन के ये किताब छंद के छ हर मानो छत्तीसगढ़ी साहित्य मा फेर ले परान ड़ालदिन , अउ पुनः शुरू ले छत्तीसगढ़ी मा छंद रचना लिखे के एक नवा शुरवात करिन , श्री निगम जी मन के छत्तीसगढ़ी के संगे संग हिंदी मा घलो "चैत की चंदनियाँ" नाव ले छंद संग्रह के किताब प्रकाशित हे , जउन हर राष्ट्रीय स्तर मा अब्बड़ चर्चित हे , आदरणीय श्री निगम जी मन देखिन की हमर छत्तीसगढ़ी भाखा मा साहित्य हे तौन हर निमगा कमजोर होवत जावत हे , अउ हमर छत्तीसगढ़ी भाखा के साहित्यकार मन के रचना मन मा घलो व्याकरण दोष अब्बड़ दिनों दिन बाढ़त हावय , अगर इनला रोके नइ जाही तब तक ये मा कोनो भी परकार ले सुधार नइ हो पाही कहिके , आदरणीय अरुण कुमार निगम जी मन हर "छंद के छ" के नाँव ले ऑनलाइन छंद सिखाय के कक्षा शुरू करिन , अउ कक्षा मा नियमित साधक लेके , श्री निगम जी मन ओ मन ला छंद के छोटे से छोटे बारीकी ला समझावत , छंद के मांत्राबाट अउ उनकर विधान ला सिखावत छत्तीसगढ़ी मा छंद रचना लिखे बर अपन साधक शिष्य मन ला प्रेरित करत आनी - बानी छंद लिखे बर सिखावत गीन , आज श्री अरुण कुमार निगम जी मन के बनाय छंद के छ कक्षा हर कक्षा भर नइ रहिके आज एक ठन क्रान्ति बनगे हावय , आज हमर छत्तीसगढ़ प्रदेश के सबो अंचल ले उनकर साधक मन जुड़े हावय , अउ श्री अरुण कुमार निगम जी मन ले छंद सिख के , आज पचासो परकार के छंद मा रचना करत हावय , आज के अइसन दौर मा जब मनखे मेर अपन खुद बर समय नइ मिलय , अइसन समय मा श्री निगम जी मन ये छंद सिखाय के जउन उदीम करिन हे ओहा वाकई मा अनुकरणीय हे , आज हमर छत्तीसगढ़ मा 100 ले भी ऊपर साहित्यकार साधक मन छत्तीसगढ़ी मा सुग्घर विधान सम्मत बिना गलती के छंद मा सुग्घर रचना करत हावय आनी बानी छंद मा , ये सबो के श्रेय छंद परिवार के संस्थापक श्री अरुण कुमार निगम जी मन ला जाथे , जउन मन छत्तीसगढ़ी भाखा मा छंद ला पुनर्स्थापित करके छत्तीसगढ़ी भाखा ला पोठ अउ समृद्ध करे के सुग्घर उदीम करिन अउ छत्तीसगढ़ी भाखा मा फेर छंद के स्थापना करके छंद ला बगराइन , उनकर अइसन अथक परयास हर वाकई मा अनुकरणीय हे , उनकर अइसन योगदान हर छत्तीसगढ़ी साहित्य बर एक दिन बिल्कुल "मिल के पत्थर" साबित होही ।
मयारू मोहन कुमार निषाद
गाँव - लमती , भाटापारा , छत्तीसगढ़
1 Comments
शानदार लेख ,मयारू भाई।हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे।
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