लईका मन ल शिक्षा महतारी भाखा में देना चाही

                    28 नवंबर विशेष लेख



लईका मन ल शिक्षा महतारी भाखा में देना चाही

छत्तीसगढ़ राज ल बने उन्नीस बछर पुर गे हे फेर हमर छत्तीसगढ़ी भाषा ह अभी ले सब्बो डहर बगरे नइ हे, छत्तीसगढ़ राज म रहइया लईका मन इन्हें जनम ले के इंहा के भाषा छत्तीसगढ़ी ल लिखे पढ़े बर नइ जाने, काबर के उमन ल छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भाषा ल पढ़े लिखे बर नइ सिखाये गे हे, और येखर सबले बड़का करान हे हमर छत्तीसगढ़ के स्कूल मन म लईका मन ल विषय के रूप म छत्तीसगढ़ी भाषा ल नइ पढ़ाये, जब के राज भाषा बने के बाद सबले पहली हमर भाषा ल सब्बो स्कूल म शिक्षा के माध्यम बनाना रहिस हे, भारत के संविधान म तको लिखे हे लईका मन ल पहली ले पांचवी तक के शिक्षा महतारी भाषा म देना चाहि, तभो ले छत्तीसगढ़ के उन्नीस बछर पूरे के बाद भी स्कूल मन म महतारी भाषा म पढ़ाई लिखाई नइ होवत हे, छत्तीसगढ़ी भाषा म पढ़ाई लिखाई नइ होये के कारन छत्तीसगढ़ के संस्करीति रीति-रिवाज परंपरा तीज-तिहार ल इंहा के रहईया लईका मन नइ जानय, अउ जानही भी कइसे, नानपन ले तो स्कूल म दूसर संस्करीति तिहार ल पढ़त आता हे, पढ़ाई के माध्यम म पूरा भारत के विषय सामिल हे त येमा हमर छत्तीसगढ़ी संस्करीति ल काबर सामिल नई करत हे, जब तक लईका मन नानपन ले अपन भाषा म पढ़ाई लिखाई नइ करही तब तक छत्तीसगढ़ के इतिहास अउ छत्तीसगढ़ ल बनइया बलिदानी क्रांतिकारी मन ल नइ जान सकही, अउ आज के आधुनिक दौर म दाई-ददा मन अपन लईका ल अंग्रेजी के स्कूल म पढ़ाये बर अतका भाग-दौड़ करथे, फेर महतारी भाषा म कोनो ल नइ पढ़ाये, पढ़ाई भी कइसे जब लईका मन अंग्रेजी म पढ़ लिख के काम बुता करही त कर सकत हे, फेर छत्तीसगढ़ी म पढ़ के कहाँ काम बुता करही, येखर बर कोनो दाई-ददा अपन लईका ल छत्तीसगढ़ी भाषा म पढ़े बर नइ कहय, येखर बर हमर सासन कोती ले परयास करें ल लगही की छत्तीसगढ़ी पढईया लईका मन बर घलोक काम-बुता करे के अवसर लाये ल लगही, जेखर ले छत्तीसगढ़ी पढाईया मन के हौसला बढ़ सके। आउ शिक्षा के छेत्र म अभी के बेरा सब्बो विषय के पढ़ाई कराये ल लगही कोनो लईका हिंदी पढ़े, अंग्रेजी पढ़े अउ वइसने छत्तीसगढ़ी घलोक पढ़े, येखर ले सब्बो भाषा के ग्यान रही अउ सब्बो भाषा के ग्यान रहें ले, अपन अउ अपन महतारी राज के विकास घलोक करही।

युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
मो:.7722906664