होली के तिहार





छत्तीसगढ़ के सांस्करीति म फागुन तिहार के घुन

हमर छत्तीसगढ़ के सांस्करीति म सब्बो तिहार के अपन अलगे महत्व होथे, फेर तभो ले हमर छत्तीसगढ़ के संस्करीति म होली तिहार के महत्व ओखर रंग के संग्गे-संग फाग गीत ले होथे( फागुन के तिहार होली बर जेन गीत ल गाथे ओला फाग गीत कहिथे) छत्तीसगढ़ म होली के रंग बसंत पंचमी के बेरा ले दाई सरस्वती के पूजा-पाठ के संग म सुरु हो जाथे, जेखर उमंग ह फागुन भर चलत रहिथे, अउ होली तिहार होये के पांच दिन बाद घलोक पंचमी के दिन तक होली के खुमार सब्बो कोती बगरे रहिथे, जेला हमर छत्तीसगढ़ी संस्करीति म धूल पंचमी, रंग पंचमी के नाव ले मनाथन, येही होली तिहार के संग मनखे रंगे-रंग म झूमे बर नंगाड़ा के थाप म फाग गीत गाये के परंपरा ह हमर संस्करीति के बढ़ सुग्घर चिन्हारी हे, जेखर बिना होली के तिहार ह अधूरा लगथे, गांव-गवई म होलिका दाई के दहन बेरा ले फाग गीत सुरु हो जाथे जोन ह दुसरइया दिन संझा बेरा तक चलथे, फाग गीत गाये के संग्गे-संग म गीत के संग नंगाड़ा के थाप म बने-बने मनखे के हाथ गोड ह नाचे बर डोले लगथे, काबर की फाग गीत म जइसने गीत गाये जाथे वोला गाये के संग्गे-संग पूरा आंनद के संग नंगाड़ा के धुन घलोक बाजथे, गवईया सुनईया सब्बो झन एक संग एक संग झूमे लगथे, होली खेले के संग गीत गाना नाचना हमर छत्तीसगढ़ी संस्कारीति ल बढ़ सुग्घर मधुर बना देथे।

राधा के संग म जइसे नाचत हे कान्हा,
तहू झूम के नाच ले गोरी मोर संग म,
बजा के अपन मन के सुग्घर गाना।

गाल रंगे हे तोर लाल-लाल रंग म,
फेर देथस काबर तै मोला ताना,
फागुन के संग म झूम के नाच ले गोरी,

अउ बनजा मोर राधा।


युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
मो:- 7722906664

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