बस्तर का माटी तिहार हमर संस्करीति म माटी किरिया खा के नइ बोले झूठ
हमर छत्तीसगढ़ी संस्करीति म देवता-धामी के बढ़ महातम हे, जेमा छत्तीसगढ़िया मन सबले जादा मया अउ सबले जादा पूजनी माटी( मिट्टी) ल मानथे, जेमा चईत पाख म माटी ल माटी देवता, बूढ़ा देव, के नाव ले पूजथे, माटी के पूजा वाले दिन गांव के मुखिया पुजारी जेला गायता कहिथे ओखर संग गांव वाला मन मिल के माटी पूजा के दीन बेरा ल चुनथे, अउ माटी पूजा करथे, हमर संस्करीति म बड़े-बड़े तिहार माटी के आराधना कर केे सुरु करथे।
येही म हवय हमर आदिवासी समुदाय के माटी पूजा जेला गांव के किसान मन पेड़ के तरी म माटी देव बूढादेव के पूजा करथे, जेखर ले बने-बने फसल होये के पूरा साल भर गांव म सुख समृद्धि होये के बरदान मांगथे। पूजा म गांव के लईका सियान मन मंदार ढोल बजा के खुशी जाहिर करथे, खुशी के संगे-संग
आदिवासी संस्करीति के सुग्घर रिले गीत गा के आपस म एक दुरस ल माटी लगा कि ख़ुशी मनाथे, अउ बधाई देथे।
माटी पूजा के दिन ले गांव म तीज-तिहार के एक के बाद एक सुरु हो जाथे, जेन ह साल पूरा होये के संग मड़ाई मेला के संग ख़ुशी उल्लास के संग साल के अंत होथे। अउ हमर छत्तीसगढ़ी संस्करीति म छत्तीसगढ़ के माटी ल बढ़ मानथे, मया करथे इखर सबले बड़े उदाहरण हमर संस्करीति म देखे बर मिलथे जेमा माटी के किरिया खा के झूठ नइ बोले कि किरिया खाथे, जेन संस्करीति ह आदिवासी मन म बढ़ प्रशिद्ध हे जेमा एक ठन मान्यता बढ़ प्रशिद्ध हे कि माटी के किरिया खा के आदिवासी मनखे कभू झूठ नइ बोले, अउ जेन दिन गांव के किसान मनखे मन माटी पूजा के दिन ल निर्धारण करथे वो दिन गांव के कोनो भी मनखे मन माटी ले जुड़े कोनो भी बुता नइ करें, वो दिन माटी के पूजा करथे कई के माटी ल खोदे-कोड़े नइ। अउ जेन मनखे ह आईसने करथे ओला गांव वाला मन के कोती ले दंडित करें जात हे। गांव वाला मन माटी पूजा के बेरा म अपन अपन शक्ति असन दान देथे जेमा चावल-दाल, फूल-फल, सब्जी, पशु-पक्षि जोन बन सकें वोला भेंट चढ़ाथे।
👉 छत्तीसगढ़ी संस्करीति म गोदना परंपरा | https://anilpali.blogspot.com/2019/04/blog-post_25.html?m=1
युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
मो.न:- 7722906664
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बस्तर के माटी पूजा |
हमर छत्तीसगढ़ी संस्करीति म देवता-धामी के बढ़ महातम हे, जेमा छत्तीसगढ़िया मन सबले जादा मया अउ सबले जादा पूजनी माटी( मिट्टी) ल मानथे, जेमा चईत पाख म माटी ल माटी देवता, बूढ़ा देव, के नाव ले पूजथे, माटी के पूजा वाले दिन गांव के मुखिया पुजारी जेला गायता कहिथे ओखर संग गांव वाला मन मिल के माटी पूजा के दीन बेरा ल चुनथे, अउ माटी पूजा करथे, हमर संस्करीति म बड़े-बड़े तिहार माटी के आराधना कर केे सुरु करथे।
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आदिवासी संस्कृति माटी किरिया |
येही म हवय हमर आदिवासी समुदाय के माटी पूजा जेला गांव के किसान मन पेड़ के तरी म माटी देव बूढादेव के पूजा करथे, जेखर ले बने-बने फसल होये के पूरा साल भर गांव म सुख समृद्धि होये के बरदान मांगथे। पूजा म गांव के लईका सियान मन मंदार ढोल बजा के खुशी जाहिर करथे, खुशी के संगे-संग
आदिवासी संस्करीति के सुग्घर रिले गीत गा के आपस म एक दुरस ल माटी लगा कि ख़ुशी मनाथे, अउ बधाई देथे।
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माटी पूजा करे के परंपरा |
माटी पूजा के दिन ले गांव म तीज-तिहार के एक के बाद एक सुरु हो जाथे, जेन ह साल पूरा होये के संग मड़ाई मेला के संग ख़ुशी उल्लास के संग साल के अंत होथे। अउ हमर छत्तीसगढ़ी संस्करीति म छत्तीसगढ़ के माटी ल बढ़ मानथे, मया करथे इखर सबले बड़े उदाहरण हमर संस्करीति म देखे बर मिलथे जेमा माटी के किरिया खा के झूठ नइ बोले कि किरिया खाथे, जेन संस्करीति ह आदिवासी मन म बढ़ प्रशिद्ध हे जेमा एक ठन मान्यता बढ़ प्रशिद्ध हे कि माटी के किरिया खा के आदिवासी मनखे कभू झूठ नइ बोले, अउ जेन दिन गांव के किसान मनखे मन माटी पूजा के दिन ल निर्धारण करथे वो दिन गांव के कोनो भी मनखे मन माटी ले जुड़े कोनो भी बुता नइ करें, वो दिन माटी के पूजा करथे कई के माटी ल खोदे-कोड़े नइ। अउ जेन मनखे ह आईसने करथे ओला गांव वाला मन के कोती ले दंडित करें जात हे। गांव वाला मन माटी पूजा के बेरा म अपन अपन शक्ति असन दान देथे जेमा चावल-दाल, फूल-फल, सब्जी, पशु-पक्षि जोन बन सकें वोला भेंट चढ़ाथे।
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छत्तीसगढ़ी संस्कृति |
👉 छत्तीसगढ़ी संस्करीति म गोदना परंपरा | https://anilpali.blogspot.com/2019/04/blog-post_25.html?m=1
युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
मो.न:- 7722906664
1 Comments
बह भैया जी । सुग्घर जानकारी
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