कवि- अनिल जाॅगडे की कविता, इतिहास बदलगे संसार बदलगे,महमारी कोरोना म इन्सान बदलगे

कोरोना म इन्सान बदलगे

कोरोना म इन्सान बदलगे

इतिहास बदलगे संसार बदलगे,
महमारी कोरोना म इन्सान बदलगे।

हवा बदलगे पानी बदलगे,
सुघ्घर मौसम घलो बदलगे,
महिना अऊ साल बदलगे,
हंसत कुलकत समय बदलगे।

दिन बदलगे रात बदलगे,
बिहनिया अऊ साम बदलगे,
देवी देवता जय हो भगवान,
मंदिर मस्जिद घलो  बदलगे।

होत बिहनिया चिरईन चिरगुन,
कोयली के बोली घलो बदलगे,
गांव गली अऊ खोर डहर म,
लईका किलकारी आज बदलगे।

हंसी ठिठोली बाबा के बोली,
परोसी के रिस्ता घलो बदलगे,
संगी साथी अऊ सखा सहेली,
मिले के ठिकाना आज बदलगे।

सगा बदलगे पहुना बदलगे,
रिश्ते दारी परिवार बदलगे,
रिति बदलगे नीति बदलगे,
मया पिरा घर दुवार बदलगे।




बोली बदलगे भाखा बदलगे,
पहिने के सिंगार बदलगे,
गीत बदलगे मित बदलगे,
सुर ताल संगीत बदलगे।

इतिहास बदलगे  संसार बदलगे ।
महमारी कोरोना म इन्सान बदलगे ।

 -  अनिल जाॅगडेस रगांव (मुंगेली)

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