छत्तीसगढ़ी लोककला म चित्रकला के
परमुख जगह हवय-
हमर छत्तीसगढ़ ह अपन कला चित्रकारी के छेतर म विश्व परसीध हवय, इंहा के चित्रकारी ह देस के चारो मुड़ा म बगरे हे, अउ छत्तीसगढ़िया चित्रकार मन अपन कला के दम म छत्तीसगढ़ के नाव पूरा देस-विदेस म आघु बढ़ावत हे, छत्तीसगढ़ म चित्रकला ह छत्तीसगढ़ी लोक कला लोक परंपरा, लोक संस्करीति के ऊपर आधारित हवय। जइसे की कोनो विसेस तीज-तिहार के बेरा म तीज-तिहार ले जुड़े चित्रकला दीवार म उकेरे जाथे जेमा सबले परसीध हवय आठे कन्हइया के चित्र ह जेला आठे कन्हइया (जन्माष्टमी) तिहार के दिन घर के देवता कुरिया म, घर के अंगना म बना के कृष्ण भगवान के छवी मान के पूजा-पाठ करथे, अइसने कइठन लोक चित्रकारी हमर छत्तीसगढ़ म बढ़ परसीध हवय जेखर संग तरह-तरह के किस्सा-कहानी जुड़े हवय।
सवनाही- सवनाही छत्तीसगढ़ी तिहार के बेरा म मनाये वाला चित्रकला के एक परकार हवय, जेमा गोबर ले छत्तीसगढ़ के पहली तिहार हरेली के दिन घर के दुवारी म मनखे अउ पशू के चित्र अंकन किये जाथे, जेमा परमुख रूप ले बघवा के शिकार करे वाले चित्र ल बनाये जाथे, अउ संग म अंगुली के निसान ले घर के चारो मुड़ा म चित्रकला रूप म मोटा पटटी असन निसान लगाथे, इंखर मानता हवय अउ संग म कहे भी जाथे की अइसे करे ले जादू-टोना के परभाव ल घर ले दूरिहय रखे बर अइसने करे जाथे।
गोवर्धन चित्रकारी - छत्तीसगढ़ प्रदेश म देवारी तिहार के दूसर दिन गोवर्धन पूजा ल बढ़ धूम-धाम ले मनाये जाथे, छत्तीसगढ़ म गोवर्धन पूजा के दिन ल बड़े देवारी के रूप म मनाथे, काबर की छत्तीसगढ़ म धान संपदा किसानी बुता ले जुड़े राज्य आये जेखर कारन गरुवा के गोबर ले कृष्ण भगवान के रूप आकृति चित्रकला के माध्यम ले बना के ओखर पूजा करथे, संग म घर म धान के कोठी म घलोक देवता-धामी के संग अउ साज-सजा के चित्र बना के धान के सम्पनता उत्पादन के आसरा कर के पूजा पाठ करथे।
नोहडोरा- छत्तीसगढ़ म किसान मूल निवासी मन जब माटी ले अपन नवा घर बनाथे त अपन घर के दीवाल ल सुक्खा माटी के चित्रकारी ले सजाथे, जेमा माटी के अलग-अलग रंग ले घर के दीवाल म देवता-धामी, पशु-पक्षी, फूल के चित्र बना के अपन सजाथे जेमा करिया माटी, लाल माटी, पिला माटी ल रंग जइसे उपयोग कर के घर म लगाये के बुता करथे।
गोदना- छत्तीसगढ़ म महिला मन अपन देहे म गोदना के निशान गोदवाथे, जइसे देहे म गहना पहिनथे वइसने ही गोदना के चिन्हा ल देहे म बनवाथे, गोदना म देवता धामी फूलपाना अउ कई तरह के चित्र बनवा सकथे, सियान मन कहिथे की गोदना ह अइसन गहना हवय जेला कोनो चोरा नइ सकें जियत मरत ले गोदना के चिन्हा ह संग म रहिथे, गोदना ल हाथ,गोड,गला,ठोड़ी म गोदवाथे।
बिहाव चित्रकारी- छत्तीसगढ़िया मन बिहाव के बेरा म अपन घर के परदा(दीवाल) म बिहाव होवइया लईका मन के नाव लिखवाथे, फूल पत्ती के चित्र बनवाथे, ऐखर से गांव म पता चलथे की अवइया बेरा म ये घर म बिहाव माढ़े हवय।
तीज तिहार चित्रकारी- छत्तीसगढ़ के तिहार म चित्रकारी के अब्बड़ महत्वपुन जगह हवय, छत्तीसगढ़ म मनाने वाला तिहार म संस्करीति से जुड़े चित्रकारी सबो डहर देखे ल मिल जाथे, जइसे देवारी के बेरा म गोवर्धन पूजा के दिन गोबर म भगवान कृष्ण के छवि बनाये जाथे, तीजा तिहार के दिन शिव पार्वती के छवि बना के पूजा पाठ करे जाथे, आठे कन्हइया के दिन कृष्ण भगवान ल छवि दीवाल म बना के पूजा पाठ करे जाथे, अइसने छत्तीसगढ़ के कई ठन तिहार म चित्रकारी के उदाहरण देखे जा सकथे।
युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली
तारबाहर बिलासपुर
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