आज के रावन "दारू" अउ ओला पीके
नशा म रहईया मनखे हवय तेखर नाश
कोन करही?
बुराई म अच्छाई के जीत के तिहार रावन दहन के बेरा म मनखे मन ल आज के बेरा म बगरे सबले बड़े रावन जेन समाज म बुराई के प्रतीक हे तेला मारना हे, हमर लईका मन के जिनगी ल बर्बाद करे वाला रावन नशा हवय तेला पहली मारे ल लगही काबर की येही नशा ल कर के मनखे मन रावन ले भी बड़का रावन बन जाथे, अउ सामाजिक बुराई म पड़ के कईठन पाप कर बइठथे, आज के मनखे ह नशा रूपी रावन के चंगुल म अइसे फसे हवय की अपन घर दुवार समाज सब ल बर्बाद कर देथे, हमर समाज म अपन पेठ जमा के बइठे नशा रूपी रावन ल सबले पहली मारे ल लगही, रावन के पुतला ल जरा ल के अपन आप ल बड़का महान समझने वाला मनखे मन ल ये गोठ ल समझना चाही के समाज म फइले बुराई ल दूर करना रावन ल जराये ले भी बड़का पुन्य के बुता हवय।
हमर समाज म नशा के रूप म बइठे रावन राजा ल आपन घर म खुसेरे के पहली हमर समाज के सीता रूपी दाई-दीदी मन ल रोकना हवय, नशा रूपी रावन ल घर भीतरी रोके के सबले बड़का जिम्मेदारी हमर महतारी-बहनी मन के हवय एही मन अगर ठान लीही की कोनो भी नशा ल अपन घर अउ अपन समाज म बगरे ले रोकबो त कोनो मनखे नशा के तीर म नइ जाही, हमर महतारी मन जइसे मया करे के बेरा महतारी होथे वइसने बुराई के अंत करे के बेरा काली माता बन जाथे, वइसने समाज म बइठे नशा रूपी रावन ल मारे बर हमर महतारी मन ल माता काली के रूप धरे ल लगही अउ अपन घर भीतरी नशा ल घुसरे ले अपन लईका के जिनगी खराब करे ले रोके ल लगही।
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