पाके अरमपपाई कस…!!
पाके अरमपपाई कस मिठाथे अबड़ जवानी ओ …!
अँचरा म गठिया के धर ले गुरतुर प्रेम के बानी ओ…!!
हवा झुलावै फूल कली ल महक साँस म घोरै नसा
काया छोड़ के जावै बचपन देके तन म मादकता
चंदा ल चकोर निहारै आँखी ह निंदिया रानी ओ…!
अँचरा म गठिया के धर ले गुरतुर प्रेम के बानी ओ…!!
सावन के भावन मौसम तैं जाड़ के रात रजाई अस
पलपला आँच म चूरे अंँउटे निमगा दूध मलाई अस
उज्जर मुंँह के ललहूँ ओंठ ताजा संतरा के चानी ओ…!
अँचरा म गठिया के धर ले गुरतुर प्रेम के बानी ओ…!!
जीव रूख धरती के ऊंँकरो फूले फरे के समै रथे
समै आए म भौंरा फूल के रस पिए म रमे रथे
बिजली चमकै बादर बरसै गिरै समै म पानी ओ…!!
अँचरा म गठिया के धर ले गुरतुर प्रेम के बानी ओ…!!
जोहन भार्गव सेंदरी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
७९७४०२५९८५
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