हमर राम....कण-कण म हे, सबो के मन म हे, सबो के जीवन म हे।
छत्तीसगढ़ के भाँचा...माता कौशल्या के लाल दुलरवा 'राम' हे।
छत्तीसगढ़ के कण-कण म 'राम' बसे हे, छत्तीसगढ़ राज्य म जिन्हा अपन भाँचा के गोड़ छु के प्रणाम करथे अइसे हमर प्रदेश के बोली-भासा संस्कृति म पैदा होये ले मरत तक 'राम' के नाव बसे हे, 'राम' ल सब अपन-अपन मानथे जेमा कौशल्या माता बर लल्लन 'राम' हे, छत्तीसगढ़ बर भाँचा 'राम' हे, हमर देश बर मर्यादा पुरुषोत्तम 'राम' हे, सनातन धर्म बर श्री 'राम' हे, सबरी दाई बर भगवान 'राम' हे, माता सीता बर सीतापति 'राम' हे, लक्छ्मण बर बड़े भाई 'राम' हे, भरत बर त्यागी राजा 'राम' हे, कैकई दाई बर बनवासी बेटा 'राम' हे, राज दसरथ बर प्राण ले प्रिय बेटा 'राम' हे, अइसने सब के अपन-अपन 'राम' सबो के मन म कण-कण म बसे हे।
मोर लल्लन राम
जेन राम ह छत्तीसगढ़ के बन म अपन बनवास के 14 बछर बिताये हे, तेखर अगोरा पूरा प्रदेश के मन सबो दिन करत रहिथे, फेर जिनगी म अपन राम ल उतार नइ सकें राम ल सिर्फ राम के नाव ले जानना मात्र भक्ति नोहे राम ल जाने बर राम के महत्व, राम के जीवन, राम के चरित्र ल जाने ल लगही, अउ अगर हमन अपन राम ल चिन डारबो त राम हमर अंदर हमर चित म बस जही जेला बाहिर खोजे के जरूरत नइ पढ़े, ऐखर बर राम ल जीवन म उतारे के जरूरत हे, राम के मर्यादा ल जाने के जरूरत हे, राम के त्याग ल जाने के जरूरत हे राम के पुरषार्थ ल जाने के जरूरत हे राम के बलिदान ल जाने के जरूरत हे राम के विचार ल जाने के जरूरत हे, राम के दया ल जाने के जरूरत हे ऐखर बर सिर्फ राम ल राम जाने के जरूरत हे आप ल राम मिल जही आप राम ल मिल जहु राम मय हो जहु फेर आप ल दुनिया ल राम के नाव ले के राम मय हौ बताए के जरूरी नइ पढ़ही, त पहली मैं राम के हो जाओ फेर राम मोर हो जही, राम ल सिर्फ राम समझ के अपना लौ त राम अपन ल हनुमान समझ के अपना लेही अउ ऐखर से ज्यादा का चाहि।
युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली
तारबाहर बिलासपुर
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