लहू म नसा ल घोरा झन समय के पहिली मउत ल अगोरा झन… कवि-जोहन भार्गव जी।

 लहू म नसा ल घोरा झन

लहू म नसा ल घोरा झन

समय के पहिली मउत ल अगोरा झन…!

हिरदय के लहू म नसा ल घोरा झन…!!


जीवन संग म जुड़े हे दाना-पानी

जिनगी के किताब म कई कहानी

नार-फाँस कस बगरे मया ल टोरा झन…!

हिरदय के लहू म नसा ल घोरा झन…!!


बड़ दुरलभ मानुस जीवन के चोला

मन म घोर के गुरतुर बानी बोला 

आन के खभर करा खोजा तोरा झन…!

हिरदय के लहू म नसा ल घोरा झन…!!


जुर-मिल के परिवार के संग चला

भाग जाही गिरहा आफत बला 

कभू कोनो कोई ल जम्मो छोड़ा झन…!

हिरदय के लहू म नसा ल घोरा झन…!!


कवि-  जोहन भार्गव जी

सेंदरी बिलासपुर छत्तीसगढ़


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