छत्तीसगढ़ के माटी
छत्तीसगढ़ के माटी उपजाऊ गंभीर…!
डगर-डगर म पा हा धान…इंच-इंच म नीर…!!
खनिज संपदा अंचरा म
सुख सौभाग्य हर लहरा म
संतोष जम्मो झन के मन म हबराथे समीर…!
डगर-डगर म पा हा धान…इंच-इंच म नीर…!!
जंगल जंगल हाथी बघवा
मैना भइंँसा हिरना चितवा
सोना चांदी तांबा कोईला जंगल जंगल हीर…!
डगर-डगर म पा हा धान इंच-इंच म नीर…!
जांगर भर कमाई कर ले
अंबर तक उड़िया के देख ले
न ईर्ष्या न द्वेष इहां के जन जन बड़ा सुधीर…!
डगर डगर म धान पा हा इंच इंच म नीर…!!
कवि- जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर छत्तीसगढ़

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