जिंनगी म कोनो पुछारी नइहे
जोरेंव जिनगी म सब बर
अपन जान के,
रेंग दिस तीरिया के मोला
दूसर मान के,
देख ए ठउर म
कोनो दोसदारी नइहे
देख जिनगी म कोनो पुछारी नइहे ..
.
नता ला निभावत हे
नेंग बरोबर,
भाखा संस्कृति कस
मया नंदावत हे,
अउ देखाए बर हमर भइगे,
कोनो चिन्हारी नइहे,
देख जिनगी म कोनो पुछारी नइहे...
.
मान मनउव्वल दारू ले
ता परब म रस कहाॅं ले आही
दाई बइठे हे संसो में
मोर टूरा कब घर आही
अउ पीरा सोरियाए बर
कोनो संगवारी नइहे
देख जिनगी म कोनो पुछारी नइहे।।
लेखक:- नागेश वर्मा
टिकरापारा रायपुर
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