होली गीत कइसन जुग सदी कइसे जमाना…! होली के संग प्रहलाद ल जलाना जोहन भार्गव सेंदरी बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

 होली गीत 

प्रहलाद ल जलाना…!!



कइसन जुग सदी कइसे जमाना…!  

होली के संग प्रहलाद ल जलाना…!!


आनी-बानी के नसा म भुला गे

हर मनखे बिधुन हे मता गे 

दाई-ददा के घलो नईं हे ठिकाना…!

होली के संग प्रहलाद ल जलाना…!!


गुटका बीड़ी-सिगरेट के आदी

गंजहा भंगेड़ी घरो-घर शराबी 

तीजा-तिहार के रौनक मेटाना…!

होली के संग प्रहलाद ल जलाना…!!


तन-मन धन होली संग भुंजाथे 

लहू म घुर के मतौना बोहाथे 

सुख-सौभाग म आगी लगाना…!

होली के संग प्रहलाद ल जलाना…!!


अफसर चपरासी घुसखहा

सत्ता शासक प्रजा‌ अदलहा

धरम करम लाज सरम भुलाना…!

होली के संग प्रहलाद ल जलाना…!!


मन म कपट छल रिस्ता टूटत हे

भाई के हाँथ ले भाई छूटत हे

धन के दाँव म सब कुछ गँवाना…!

होली के संग प्रहलाद ल जलाना…!!


 जोहन भार्गव सेंदरी बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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