छत्तीसगढ़ी कविता- बासी, पोसक भरपुर हावय जुन्ना हँड़िया के बासी म, कवि-जोहन भार्गव जी सेंदरी बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

  जुन्ना हँड़िया के बासी म



पोसक भरपुर हावय जुन्ना हँड़िया के बासी म !

जांगर भर पहट के कमाथन मंझनियाँ पठपर माटी म !!


हम किसान बनिहार गरीबी रेखा म जीवन जीथन 

नून घोर के बासी खाथन पाछू नुनहा पेज पीथन 

कखरो चारी-चुगली करके अपजस नईं ली छाती म !

जांगर भर पहट के कमाथन मंझनियाँ पठपर माटी म !!


काँस के बटकी भर बासी नून अउ मिरचा घुरे रथे 

मिलिस त दही मही मिलाएन नहीं त पानी भरे रथे 

एक ठन गोंदली चाब-चाब के झड़केन कांदा भाजी म !

जांगर भर पहट के कमाथन मंझनियाँ पठपर माटी म !!


बासी खा के भिड़ेन बुता म कहाँ घाम के नाव संगी 

मूड़ म पागा पटकू के बन गे बर के छाँव संगी 

आगी आँच बन झोरय हवा फेर ताव के टोर हे बासी म !

जांगर भर पहट के कमाथन मंझनियाँ पठपर माटी म !!


बासी के ताकत नस-नस म गैंती घलो झनक जाथे 

रुवाँ-रुवाँ ले फूटय पछीना ये घाम के मोती दमक जाथे 

दाई के अँउटे मया भरे हे चाउँर गहूँ फूल पाती म !

जांगर भर पहट के कमाथन मंझनियाँ पठपर माटी म !!


गड़रिया बेटा भेंड़ी ढिलयँ बांध के खुमरी कमरा जी 

खांध म दपकी लाठी पनही ‌‌लजावय घाम अउ भोमरा जी 

बगर के भेंड़ी बिधुन चरयँ मैदान खेत अउ घाटी म !

जांगर भर पहट के कमाथन मंझनियाँ पठपर माटी म !!


कहाँ ले पाबो पोहा जलेबी कहाँ समोसा भजिया रोज 

तेलहा गुड़हा पेट बिगाड़य खरचा घलो बढ़ावय बोझ 

माई-पिल्ला हम रहिथन खुस भात साग अउ बासी म !

जांगर भर पहट के कमाथन मंझनियाँ पठपर माटी म !!


पुष्टाई भरपूर हवै जुन्ना हँड़िया के बासी म !!

जांगर भर पहट के कमाथन मंझनियाँ पठपर माटी म !!


कवि-जोहन भार्गव जी

सेंदरी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 

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