आ गे हरेली के तिहार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…कवि जोहन भार्गव जी।

 आ गे हरेली के तिहार…!!


आ गे हरेली के तिहार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…!

करय राज महतारी गोहार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…!!


कोनो खेत म लइहरा कोनो खेत म रोपा

कोनो खेत म थोर बहुत आऊ धान बोथा

होगे बियासी जोरदार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…!

करय राज महतारी गोहार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…!!


सावन के कारी रात जम्मो धान परी बन गे

पानी म बुड़े हे जरई तरी-तरी तन गे 

पेड़ाही एक धान कई हजार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…!

करय राज महतारी गोहार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…!!


धो ले कुदारी नांगर हँसिया राँपा ल ले आ

गउरी गनेस ल सुमर गुण नरियर ले आ

हूमन गुणहा चिला सिवकार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…!

करय राज महतारी गोहार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…!!


सबले ऊपर दिखय बेटा बर गेंड़ी ला

ऊँच बन के देखाय आज के दिन ये ही सिखा

दारू मुर्गा नरक के दुवार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…!

करय राज महतारी गोहार थिरा ले जुड़ा ले गा किसान…!!


कवि- जोहन भार्गव जी 

गड़रिया पारा सेंदरी बिलासपुर ।

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