लेयांश पाली दुलरूवा…!! (१२/७/२३)
दादाजी अउ दादी के लेयांश दुलरूवा…!
माँ-पापा भाई-बहिनी के लेयांश दुलरूवा…!!
आँखी के चंदैनी हिरदय के पुतरी
झुलथे सुरता म सब के अंतस भीतरी
बड़े पापा बड़े अम्मा के प्रेमांश दुलरूवा…!
माँ-पापा भाई-बहिनी के लेयांश दुलरूवा…!!
निस-दिन चरचा करथें नाना-नानी मन
किसन-कन्हइया समझयँ ममा-मामी मन
मौसा-मौसी के घर के सुभ-अंश दुलरूवा…!
माँ-पापा भाई-बहिनी के लेयांश दुलरूवा…!!
गीत के धुन कस मोहय सम्मोहक बाबू
कंठ जीभ म सोहय भजन कस जादू
बुआ-फुफा के मयारूक रेयांश दुलरूवा…!
माँ-पापा भाई-बहिनी के लेयांश दुलरूवा…!!
जोहन कवि के कविता म मया के ओगरा
ध्रुव तारा के माथा म लगाव दवँ कजरा
किस्मत गगन म चमकय सर्वांग दुलरूवा…!
माँ-पापा भाई-बहिनी के लेयांश दुलरूवा…!!
परिवार के जम्मो झन के लेयांश दुलरूवा…!!
कवि - जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर छत्तीसगढ़
(बाबू लेयांश दुलरूवा बर मोर मया भरे भेंट)
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