महतारी के मया कमरछठ तिहार
महतारी ह अपन लइका के मया अउ लइका के सुग्घर आशीष, सुखी जीवन के खातीर जउँन उपास रहिथे ओला कमरछठ तिहार के नाँव ले जाने जाथे। कतको झन ये तिहार ल हलषट्ठी नाँव ले तको जाने जाथे। हलषट्ठी येखर सेती कहिथे!काबर कि श्री कृष्णा भगवान के बड़े भाई बलराम जी के जनम इही दिन होय रिहिस हे। श्री कृष्णा के बड़े भाई बलराम ह हल ल अपन संगी समझथे अउ अपन संगे- सँग धारण करके चलथे उँखर सेती ये तिहार ल हलषट्ठी नाँव ले जानथे।कमरछठ तिहार के दिन महतारी बहिनी मन अउ जम्मो उपसनिन मन सुग्घर मउँहा डारा के दतवन करथे।अउ गाँव के बिच बस्ती मे जम्मो उपसनिन मन जाके सगरी बने रहिथे उहाँ सुग्घर अकन ले बइठ के पूजा पाठ करथे।ये तिहार मे लइका मन के घलो बुता रहिथे। लइका मन बाटी, भौरा, धोँगा,अउ बइला सँग किसम किसम के लइका मन के खेले के जिनिस तको बनाथे। जउँन ल महतारी मन अउ दीदी बहिनी मन सुग्घर अकन ले सगरी दाई के तीर मे रख के पूजा पाठ करथे।पूजा पाठ बर मउहा के पतरी, दोना, अउ मउहा के लकड़ी के बड़ महत्त्व रहिथे। कमरछठ तिहार के दिन महतारी मन अपन लइका खातीर अउ पूजा पाठ बर चना गहुँ, मसूर,अउ लाई ल फोड़ के परसाद बनाये जाथे।अउ संगे -सँग भइस के दूध अउ दही घलो चढ़ाहे जाथे।कमरछठ तिहार के दिन जम्मो उपसनिन मन ल सुग्घर अकन ले महाराज ह सगरी दाई के कथा तको सुनाथे।जइसे कहानी के पुर जाथे तहान जम्मो उपसनिन मन ह माटी के जम्मो खेलवना बनवा के लाये रहिथे ओला सुग्घर सगरी मे समर्पित कर देथे।पूजा के बाद सगरी पानी ल महतारी मन अपन मयारूक लइका मन के मे पोता देथे अउ सगरी ले सुग्घर जीवन के कामना करथे।कमरछठ तिहार म पसहर चाउँर के बड़ महत्त्व होथे। इही दिन पूजा पाठ करके आके उपसनिन मन सुग्घर पसहर चाउँर ल चुरो के दही सँग मे माई पीला परसाद के रूप म ग्रहण करथे।
अउ खाये के बाद येला गाँव के तरिया मे विसर्जित कर देथे अउ सुग्घर जिनगी के कामना करथे।
हेमंत मसखरे (मनचल्हा)
ग्राम -भदेरा (पैलीमेटा )
जिला -के. सी. जी
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