माँ भारती
बन के लाल लहू मैं तेरे रग-रग में उतर जाउ,
मेरी माँ भारती मैं फिर से तेरा बेटा बन जाऊं।
उठाऊ उस तिरंगे को फिर मैं गर्व से,
कफ़न अपने बदन का उसे ही मैं बनाऊ।
हे भारत माँ मैं फिर से तेरा ही बेटा बन के आउ।
बन के लहू फिर तेरे रग-रग में उतर जाउ।
सीने से लगा लू फिर इस मिट्टी को मैं,
मार के बाद भी मैं बस इसमें ही समाउ।
तोड़ दु फिर नफ़रत की सारी दीवारे,
हर सरहद को अपने लहू से बस एक बार मैं मिटा दु।
हे माँ भारती मैं फिर से तेरा बेटा बन जाऊं.......02
✍️अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर
छत्तीसगढ़
मो.न- 7722906664
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