होली तिहार हे



       फागुन तिहार होली


आइस होली रे संगी आइस होली रे,
रंग लगाव सब ल आइस होली रे।
आये हे हमर फागुन के महीना,
फाग सब्बो झन जुर-मिल के गाव,
 धूम-धाम ले बाजा-गाजा के संग।
 नंगाड़ा ल फूटत ले बजाओ। 
आगे होली के तिहार संगी, मया बगराओ।
 लइका-सियान सब जुर-मिल के रंग लगाव,
अपन संस्करीति ल झन तुमन भुलाओ।
 नशा ले दुरिहा रहो, सुक्खा रंग ल लगाओ,
सब्बो मनखे ल येही गोठ सिखाओ।
 आगे होली के तिहार संगी, मया बगराओ।
 नवा खवाई के घर म पकवान बनाओ,
 देवता-धामी ल सुमिरव अउ होली मनाओ।
 कोनो मनखे ल जबरन रंग झन लगाओ,
मया के संग म बने होली ल मनाओ।
 आगे फागुन के तिहार संगी, मया बगराओ।

 युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली,
 तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़ 

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