राखी और आजादी का पर्व happy independent day

आजादी के साथ राखी का पर्व


प्यार भरा राखी का बंधन स्वतंत्रता दिवस के साथ (कहानी)

घर के आंगन से माँ के चिल्लाने की आवाज आरही थी, गुड़िया कहाँ है जल्दी बहार निकल तेरे भईया की गाड़ी का टाइम हो गया है तेरी देरी के कारण तेरे भईया की गाड़ी छूट जाएगी,
माँ की आवाज सुन कर घर के अंदर से गुड़िया की आवाज आती है,
माँ भईया जो जाने मत देना मैं उनके लिए राखी ले कर आरही हूं।
समय बीतते देख गुड़िया के भाई अपनी बहन को आवाज लगाते है
ले गुड़िया तू अंदर ही रहे मैं चला यहाँ से मुझे देर हो जाएगी और जादा देर रुका तो,
अपने भाई की आवाज सुन के गुड़िया दौड़ते हुए घर से बाहर आंगन में निकली है और अपने भइया से कहती है
थोड़ी देर तो रुक जाओ भईया एक तो साल में एक बार आते हो आप उसमे भी आप को जल्दी जाने की पड़ी रहती है,
गुड़िया की बात सुन कर भईया कहते है मुझे जाने की जल्दी तो नही रहती पर जाना तो पड़ेगा अब मेरी छुट्टी भी खत्म हो गई है तो यहाँ रुकते भी नही बनेगा,
तुम लोगो को छोड़ कर जाने का मन तो मेरा भी नही करता है। तब भी जाना तो पड़ेगा,
यहाँ तो तेरा खयाल रखने के लिए माँ-पिता जी है पर मेरे देश के लिए तो मैं ही उनका रक्षक हु अगर मैं ही ऐसी अपने देश को छोड़ कर छुट्टी में रहूंगा तो मेरे देश की सुरक्षा का क्या होगा।
बात को बदलते हुवे भईया कहते है
अच्छा ये सब छोड़ तू ये बता इतने देर से घर के अंदर क्या कर रही थी मैं कब से बाहर खड़े हो के तेरा इन्तेजार कर रहा था।
भईया की बात सुन के गुड़िया कहती है
भईया आप तो इतने दिनों के बाद घर आते हो, कभी मैं आप को अपने हाथ से राखी नई बांध सकती इस बार भी आने वाली राखी में मैं आप के हाथों में राखी नई बांध पाऊंगी, इस लिए आज ही आप के हाथों में राखी बांध दु एसा सोच के आप के लिए राखी ढूंढ रही थी,
अपनी बहन की बात सुन कर सैनिक भाई बोलता है मुझे भी बहुत दुःख होता है कि मैं राखी के तैवहार में तेरे पास नही रहा पाता।
पर इस बार तू चिंता मत कर इस बार राखी का तैवहार तू मेरे साथ ही मनाएगी,
तो क्या भईया इस बार आप राखी में छुट्टी कले के घर आओगे,
अरे नही रे पगली इस बार तू मेरे साथ हमारे देश की आजादी का जसन देखने जाएगी, और उसी दिन राखी भी है तो दोनों तैवहार मिल के साथ मे मनायेंगे,
और हमारे साथ माँ-पिता जी भी रहेंगे फिर सब साथ मे मिल के हमारे देश के तिरंगे को सान से फैरायेंगे,
और तू वहाँ देखना की हमारे देश के लिए अपनी जान निछावर करने वाले वीर जवान, कितनी खुशी से अपने देश के सम्मान का तैवहार मनाते है।
फिर तू वही मुझे राखी बंधना, मेरे साथ-साथ तुझे वहाँ तेरे कितने सारे और भाई मिल जायेंगे, जो तेरे जैसी गुड़िया के लिए रात-दिन जाग कर अपनी डयूटी करते है
भईया मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैं एक सैनिक की बहन हु और आप मेरे बस भाई नही हो उन सभी बहनों के भाई हो जो अपने घरों में बैठ कर अपने भाइयों के हाथों में राखी बांध के उनकी लंबे उम्र की कामना करती है। ताकि किसी का भाई कभी उनकी बहनों से दूर न जासके। गुड़िया खुशी से अपने भईया को गले लगा लेती है।

युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़िया
मो.न: 7722906664

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