अतना उम्मीद रखे रहेन तभो ले 15 अगस्त के घोसना म अनियमित कर्मचारी बर शासन के कोती ले कोनो घोसना नइ होइस, फेर उम्मीद टूट गे, अउ कतका बछर लगही ये गुलामी भरे जिनगी ल छुटे ले। रददा देखे या फेर लड़े के सिवा कोनो रास्ता नई दिखत हे।
फेर मोर कहना तो ये हवय के मरना तो सब ल हे त अइसने घुट घुट के जिये ले अच्छा हे एक घव लड़ के मर जाना, जितबो त अनियमित होये के गुलामी भरे जिनगी के आजादी मिल जाहि, नई तो मरत तो वइसने हन।
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