भारत के स्वच्छता ऊपर बढ़ सुग्घर कविता- कवि- अनिल जी के द्वारा
छोडव प्लास्टिक के थैला
छोडव प्लास्टिक के थैला
कपड़ा के झोला सिलावव
झन करव ऐ धरती ल मैला
भारत भूईया ल स्वच्छ बनावव
न ऐ कभु सरय गलय जी
अऊ नई होवय नाश रे
हमर जीवन बर कैंसर हवय
बात ल मोर मान रे
गिरे परे कचरा ल उठावव
रस्ता ल सरग बनावव
छोडव प्लास्टिक के थैला
कपड़ा के झोला सिलावव
ये प्लास्टिक के झोला थैईला
धरती ल बन्जर बनात हे
भारत भूईया सोन चिरईया ल
देख आसु रोवात हे
जुर मिल के सब किरिया खालव
कपड़ा के झोला अपनावव
छोडव प्लास्टिक के थैला
कपड़ा के झोला सिलावव
जगह जगह म फेकाये प्लास्टिक
जीव जंतु सब खात हे
ये प्लास्टिक के कारण म
लाखो जान गवात हे
दुर भगावव ये बैरी ल
भारत भूईया ल स्वच्छ बनावव
छोडव प्लास्टिक के थैला
कपड़ा के झोला सिलावव
झन करव ऐ भूईया ल मैला
भारत भूईया ल स्वच्छ बनावय
जय भारत भूईया
✍️कवि- अनिल जाॅगडे
ग्राम-भैंसबोड़, बिल्हा क्षेत्र बिलासपुर छत्तीसगढ़
1 Comments
बहुत सुंदर सही कथन
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