कविता- धान लुये ल जाबो

किसान के तिहार- धान के बाली

 चलव - चलव लुये जाबो धान 


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कोला बारी रस्ता ल चतवारव
पैरा डोरी हंसिया ल संवारव
कोयली कुहकत हे होगे बिहान
चलव चलव लुये जाबोन धान

आषाढ़ सावन के रिमझिम पानी
धरती दाई ल सुग्घर सिरजाये
नींद कोड के जागर टोरत
खून पसीना तन ल तपाये
तोर मेहिनत के फल लहरागे
जयहो जयहो मोर भाई किसान
कोयली कुहकत हे होगे बिहान,चलव  चलव लुये जाबोन धान

धरके चटनी बासी अऊ जागर
चलव धान लुये बर जाबोन
गावत ददरिया लुबोन धान
करपा ओरी ओरी बगराबोन
खेती खार दुरिहा ल चिनहाही
हवय हमर धान कटोरा के शान
कोयली कुहकत हे होगे बिहान,चलव चलव लुये जाबोन धान

खेती खार के सोनहा धान
देख किसान के मन हरियागे
करम कमई के जोते नागर
दुख पिरा देख जम्मो बिसरागे
पाव परव मय धरती के बेटा
तैय हस ग भूईया के भगवान
कोला बारी रस्ता ल चतवारव,पैरा डोरी हंसिया ल संवारव
कोयली कुहकत हे होगे बिहान,चलव चलव लुये जाबोन धान

🌾जय हो मोर नगरिया किसान 🙏
                   
                                   गीतकार
                            ✍ अनिल जाॅगडे
               शा प्रा शाला तोरला ,संकुल-हिन्छापुरी (सरगाव )

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1 Comments

  1. रचना ह बने हवय भाई साहब बहुत बहुत बधाई।

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