भाखा के आगी..छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना आवत हे

                

                      भाखा के आगी



 (छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना आवत हे)


छत्तीसगढ़ी भाखा के आगी, 

करेजा म दहकावत हे।

महतारी भाखा बर,

सब्बो छत्तीसगढ़िया अब आघु आवत हे।


नवा सुरूज धर के आँखी म, 

सोनहा बिहान लावत हे।

अपन महतारी भाखा ल,

छत्तीसगढ़िया सब्बो कोती बगरावत हे।


छत्तीसगढ़ के बोली भाखा ह,

मीठ मधुरस कस सुनावत हे।

माटी, महतारी के पीरा ह, 

छत्तीसगढ़िया ल जनावत हे।


हमर छत्तीसगढ़ संस्करीति ह, 

अपन गुन ल सब्बो कोती गावत हे।

छत्तीसगढ़ के सुग्घर बोली-भाखा ह, 

जगह-जगह चिन्हावत हे।


छत्तीसगढ़ म, महतारी के दुलरवा लईका,

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना, 
दाई के सेवा बर आघु आवत हे।


युवा कवि साहित्यकार

अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छतीसगढ़

7722906664,7987766416

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