कविता
ममहावत अमरईया देख बसंत छागे
फागुन के फाग खेले रंग बसंती आगे
लाली फूले परसा ह दुरिया ल चिनहात हे
पियर रंग सरसो फूले देख गहू बऊरात हे
रुख राई डारा पाना अपन रंग म हरियागे
फागुन के फाग खेले रंग बसंती आगे
घम घम ल मौउरे आमा सेम्हर फूल इतरात हे
कुहकी मारे कारी कोयली जीव ल जलाथ हे
गुन गुनावत हे भौरा संग देख बसंत मतागे
फागुन के फाग खेले रंग बसंती आगे
पडकी परेवना सबो फागुन गीत गात हे
सुवा मैना बैठ अमरईया मन ल मिलात हे
आनी बानी के रंग गुलाल बनके बसंत आगे
फागुन के फाग खेले रंग बसंती आगे
ममहावत अमरईया देख बसंत छागे
आप अऊ आपके सबो झन परिवार ल मोर तरफ ल होली के गाड़ा गाड़ा बधाई अऊ शुभकामना
रचनाकार - अनिल जाॅगडे
संकुल हिन्छापुरी (सरगाव ) पथरिया
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