छत्तीसगढ़ संस्करीति के अकती तिहार
छत्तीसगढ़िया किसान मन के पहली तिहार हे अकती, जेन दिन सब्बो किसान मन एक जगह जुरिया के अपन कुल देवता की पूजा-पाठ करथे,अउ ओहि दिन खेत म धान छिचे बर नवा बीज बोये के परंपरा हे,तेहि दिन ले किसान मन के नवा बछर के सुरुवात घलोक होथे, येखर बाद किसान मन अपन घर ले धान के बीज ल परस के दोना म धर के ठाकुर देव के तीर म ओखर पूजा कर के भुइयां म बगरा देथे, अउ अपन देवता ले बने खेती किसानी होये के गांव म सुख समृद्धि आये के विनती करथे, दोना के धान ल गांव के बइगा ह सब्बो ल बांट देथे।
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अकती म घड़ा दान दे के परंपरा |
वइसने हमर छत्तीसगढ़ म सब्बो कोती तिहार ल अपन-अपन ले अलग-अलग मनाथे येही म काबर के गांव-शहर में बिहाव करें बर बढ़ सुग्घर मानथे, काबर की अकती के दिन कोई सुभ मुहर्त नइ रहे, ये दिन ल पूरा शुभ मानथे, येखर सेती अकती के दिन सब्बो कोती अब्बड़ बिहाव होथे कहिथे की अकती के दिन जेन दूल्हा-दुलहिन के भंवर पड़थे उमन बढ़ सुख शांति समृद्धि ले रहिथे। अउ आकती तिहार ल हिंदी पंचांग म “अक्षय तृतीया” के नाव ले जानथे। अउ येही दिन अपन पुरखा मन ल पानी भेंट करें के परमपरा धलोक प्रचलित हे काबर बर की सियान मन कहिथे अकती के दिन अपना पुरखा ल पानी दे ले वो पानी उमन ल तुरते मिल जाथे,
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अकती |
अकती के तिहार ह लईका मन बर अब्बड़ महातम रखथे, ये दिन गांव घर म पुतरा-पुतरी बिहाव करें के परंपरा ह घलोक अब्बड़ परसीध हे, जेमा सब्बो परंपरा के संग तेल हल्दी लगा के पुतरा पुतरी के बिहाव करथे, बारात जाथे दुलही ल बिदाई करथे, काबर की कन्या दान ल सबले बड़े दान कहिथे, येखरे बर ये दिन अब्बड़ बिहाव माढ़थे,
युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
मो.न 7722906664
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