छत्तीसगढ़ संस्करीति के अकती तिहार अक्षय तृतीया 2020

       
     छत्तीसगढ़ संस्करीति के अकती तिहार

छत्तीसगढ़िया किसान मन के पहली तिहार हे अकती, जेन दिन सब्बो किसान मन एक जगह जुरिया के अपन कुल देवता की पूजा-पाठ करथे,अउ ओहि दिन खेत म धान छिचे बर नवा बीज बोये के परंपरा हे,तेहि दिन ले किसान मन के नवा बछर के सुरुवात घलोक होथे, येखर बाद किसान मन अपन घर ले धान के बीज ल परस के दोना म धर के ठाकुर देव के तीर म ओखर पूजा कर के भुइयां म बगरा देथे, अउ अपन देवता ले बने खेती किसानी होये के गांव म सुख समृद्धि आये के विनती करथे, दोना के धान ल गांव के बइगा ह सब्बो ल बांट देथे।

अकती म घड़ा दान दे के परंपरा




वइसने हमर छत्तीसगढ़ म सब्बो कोती तिहार ल अपन-अपन ले अलग-अलग मनाथे येही म काबर के गांव-शहर में बिहाव करें बर बढ़ सुग्घर मानथे, काबर की अकती के दिन कोई सुभ मुहर्त नइ रहे, ये दिन ल पूरा शुभ मानथे, येखर सेती अकती के दिन सब्बो कोती अब्बड़ बिहाव होथे कहिथे की अकती के दिन जेन दूल्हा-दुलहिन के भंवर पड़थे उमन बढ़ सुख शांति समृद्धि ले रहिथे। अउ आकती तिहार ल हिंदी पंचांग म “अक्षय तृतीया” के नाव ले जानथे। अउ येही दिन अपन पुरखा मन ल पानी भेंट करें के परमपरा धलोक प्रचलित हे काबर बर की सियान मन कहिथे अकती के दिन अपना पुरखा ल पानी दे ले वो पानी उमन ल तुरते मिल जाथे,

अकती


अकती के तिहार ह लईका मन बर अब्बड़ महातम रखथे, ये दिन गांव घर म पुतरा-पुतरी बिहाव करें के परंपरा ह घलोक अब्बड़ परसीध हे, जेमा सब्बो परंपरा के संग तेल हल्दी लगा के पुतरा पुतरी के बिहाव करथे, बारात जाथे दुलही ल बिदाई करथे, काबर की कन्या दान ल सबले बड़े दान कहिथे, येखरे बर ये दिन अब्बड़ बिहाव माढ़थे,

युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
मो.न 7722906664

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