कोरोना ल हरवाय के हथियार "मोर राज म मोर रोजगार" : अमित बघेल
रायपुर : मौजूदा कोरोना त्रासदी ने हमें अपने जीने के रंग ढंग को बदलने के लिये मजबूर कर दिया है, यदि हम आज नहीं बदले तो हमारा अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा, यह कहना है छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित बघेल का। वो कहते हैं अनेक संगठन हमें शाकाहार या संयमित भोजन करने की सलाह दे रहे हैं, तो कोई सामाजिक दूरियों की शिक्षा दे रहा है, छतीसगढ़िया क्रान्ति सेना का यह कहना है, कि हमारे प्रदेश मे जितने भी कोरोना के प्रकरण आए हैं, वो सब के सब अन्य देशों या अन्य प्रदेशों से प्रवास करके पहुंचे व्यक्तियों द्वारा ही लाए गये हैं। कोरोना के रोकथाम के लिये सरकार द्वारा पहला ही कदम प्रदेश की सीमाओं को सील करके, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों, एयरपोर्ट को बंद करके उठाया गया। क्यों न इसी अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए हमारी प्रदेश सरकार ऐसी नीतियों का निर्माण करे जिससे भविष्य में आने वाले ऐसे संकटों से सरलता से निपटा जा सके। सामान्य दिनों में एक संघीय गणराज्य मे यह संभव नहीं है, कि हम अपनी प्रादेशिक भौगोलिक सीमाओं पर कड़ाई कर लें लेकिन हम ऐसी नीतियां जरुर बना सकते हैं, जिससे हमारे प्रदेश के मूल निवासी अकुशल, कुशल श्रमिकों से लेकर उच्चशिक्षित अभियंताओं, प्रबंधकों, प्राशासनिक अधिकारियों को नौकरी के लिये अन्य प्रांत जाना ही न पड़े।
अमित बघेल कहतें हैं कि यह क्रान्ति सेना का आंकड़ाबद्ध अध्ययन है कि छत्तीसगढ़ के उद्योगों में, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में, शिक्षा संस्थानों में और प्रशासन में जितने अन्य प्रांत के लोग कार्यरत हैं। उन स्थानों को छत्तीसगढ़ के यथायोग्य स्थानीय लोगों के द्वारा बड़ी सरलता से भरा जा सकता है, उन सभी प्रकार की अर्हताओं को पूरा करने में छत्तीसगढ़ के मूल निवासी पूर्णतः सक्षम हैं। उदाहरण के लिये भवन निर्माण कला में छतीसगढ़िया श्रमिकों का देशभर में लोहा माना जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में चल रहे भवन निर्माण कार्यों मे दूसरे राज्यों के श्रमिकों से कार्य कराया जाता है। अपने प्रदेश के अवसरों को बेवजह परप्रांतियों के द्वारा भरे जाने के कारण ही आज लाखों की संख्या में छत्तीसगढ़ के लोग या तो बेरोजगार हैं या बाहर जाकर काम करने को मजबूर हैं और वे आज के संकटकालीन स्थितियों में अन्य राज्यों में भूख से बिलखते पड़े हैं या पैदल चलते चलते सड़कों पर प्राण त्याग रहे हैं। ठीक यही स्थिति अन्य राज्यों के लोगों की भी है जो आज महामारी के कारण छत्तीसगढ़ छोड़कर बाहर जा रहे हैं। परिणाम यह हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य सहित प्रवासियों के मूल प्रदेश की सरकारें भी चिंतित और परेशान हैं। वे सभी लोग वर्तमान बीमारी को एक राज्य से दूसरे राज्यों में खतरनाक ढंग से प्रसारित कर रहे हैं।
अमित बघेल आगे कहते हैं कि हम एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हुए छत्तीसगढ़ सरकार से ये आग्रह करते हैं कि "मोर राज म मोर रोजगार" की शुरूआत वर्तमान में कोरोना से बंद पड़े उद्योगों के साथ कर सकते हैं। इन उद्योगों से जो श्रमिक अपने मूल प्रदेशों में लौट चुके हैं उन्हें उनके स्वयं के राज्य के उद्योगों में समायोजित होने के लिये छोड़ दिया जाय। छत्तीसगढ़ के उद्योगों में नये सिरे से जहां तक संभव हो सके छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को कानून नियुक्ति देने के लिये उद्योगपतियों को आदेशित किया जाय। इससे छत्तीसगढ़ में लाखों खर्च करके शिक्षित हुए बेरोजगार युवा पीढ़ी की बेरोजगारी की समस्या हमेशा के लिये दूर हो जाएगी। हर वर्ष हो रहे पलायनों से सरकार की होने वाली किरकिरी भी रुक जाएगी, सरकार केवल इतना ही निगरानी कायम रखे कि नियोक्ता श्रमिकों को श्रम कानूनों के तहत उचित पारिश्रमिक दे रहा है कि नहीं। सरकार यदि "मोर राज म मोर रोजगार" की अवधारणा को लेकर यह कदम उठाती है तो छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना यह बात ताल ठोक कर कह सकती है कि छत्तीसगढ़ का एक भी मजदूर न पलायन करेगा, न किसी बीमारी से मरेगा बल्कि सब मिलजुल कर सरकार के राजस्व और छत्तीसगढ़ की तरक्की के लिये काम करेंगें।
कोरोना ल हरवाय के हथियार "मोर राज मं मोर रोजगार" : अमित बघेल
रायपुर : अभी हाल के कोरोना खतरा ह हमला अपन जीए के रंग ढंग ल बदले बर मजबूर कर देहे हे, कहूँ हम आज नइ बदलेन त हमर अस्तित्व ही ह खतरा म पर जाही, ये कहना हे छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित बघेल के। उमन कहिथें के बहुत अकन संगठन हमला शाकाहार या संयमित भोजन करे के सलाह देवत हें, त कोनो सामाज म छट्टा-छट्टा रहे के शिक्षा देवत हें, छतीसगढ़िया क्रान्ति सेना के ये कहना हे, के हमार प्रदेश म जतका कोरोना के प्रकरण आए हे, वो सब के सब आन देश या आन प्रदेश ले प्रवास करके पहुंचे मनखे मन ही लाए हें। कोरोना के रोकथाम बर सरकार कोति ले पहलिच कदम प्रदेश के सीमा मन ल सील करके, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, एयरपोर्ट ल बंद करके उठाए गए हे। काबर न इही अवधारणा ल आगू बढ़ात हमर प्रदेश सरकार अइसन नीति मन के निर्माण करय जेखर से भविष्य म अवइया अइसन संकट मन ले सरलता ले निपटे जा सकय। सामान्य दिन म एक संघीय गणराज्य म ये संभव नइ हे, के हम अपन प्रादेशिक भौगोलिक सीमा म कड़ाई कर लेवन फेर हम अइसन नीति जरुर बना सकत हन, जेखर से हमार प्रदेश के असल निवासी अकुशल, कुशल श्रमिक मन ले लेके उच्चशिक्षित अभियंता, प्रबंधक, प्राशासनिक अधिकारी मन ल नौकरी बर आन प्रांत जानाच झन परय।
अमित बघेल के बताती क्रान्ति सेना के आंकड़ाबद्ध अध्ययन हे के छत्तीसगढ़ के उद्योग, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, शिक्षा संस्थान मन अऊ प्रशासन म जतका आन प्रांत के मनखे काम करत हें। वो जगा मन ल छत्तीसगढ़ के यथायोग्य स्थानीय मनखे मन ले बड़ सरलता ले भरे जा सकत हे, उंखर सबो प्रकार के अर्हता मन ल पूरा करे म छत्तीसगढ़ के असल निवासी पूर्णतः सक्षम हे। उदाहरण बर भवन निर्माण कला म छतीसगढ़िया श्रमिक मन के देशभर म लोहा माने जाथे, फेर छत्तीसगढ़ म चलत भवन निर्माण काम मन म दूसर राज्य के श्रमिक मन ले काम कराए जात हे। अपन प्रदेश के अवसर ल बिगर मतलब के परप्रांत के मनखे मन ले भरे के सेती आज लाखों के संख्या म छत्तीसगढ़ के मनखे या तो बेरोजगार हें या बाहिर जाके काम करे ल मजबूर हें अऊ ओ मन आज के संकटकालीन स्थिति मन म आन राज्य मन म भूख ले बिलखत परे हें या पैदल चलत चलत सड़क मन म प्राण त्यागत हें। ठीक इही स्थिति आन राज्य के मनखे मन के घलोक हे जऊन आज महामारी के सेती छत्तीसगढ़ छोड़के बाहिर जावत हें। परिणाम ये हे के छत्तीसगढ़ राज्य संग प्रवासी मन के संगे-संग प्रदेश के सरकार मन घलोक चिंतित अऊ परेशान हें। ओ सबो मनखे मन अभी हाल बीमारी ल एक राज्य ले दूसर राज्य म खतरनाक ढंग ले प्रसारित करत हें।
अमित बघेल आगू कहिथे के हम एक सकारात्मक सोच के संग आगू बढ़त, छत्तीसगढ़ सरकार ले ये आग्रह करत हवन के "मोर राज मं मोर रोजगार" के शुरूआत अभी हाल म कोरोना ले बंद परे उद्योग मन ले करे जा सकत हे। ए उद्योग मन ले जऊन श्रमिक अपन मूल प्रदेश म लहुट गे हें ओ मन ल ऊंखर अपन राज्य के उद्योग म एडजस्ट होए बर छोड़ दे जाय। छत्तीसगढ़ के उद्योग म नवा सिरा ले जहां तक संभव हो सकय छत्तीसगढ़ के असल निवासी मन ल कानून नियुक्ति दे बर उद्योगपती मन ल आदेशित करे जाय। एखर से छत्तीसगढ़ म लाखों खरचा करके शिक्षित होए बेरोजगार युवा पीढ़ी के बेरोजगारी के समस्या हमेशा बर दूर हो जाही। हर साल होवत पलायन ले सरकार के होवइया किरकिरी घलोक रुक जाही, सरकार केवल अतकेच निगरानी कायम रखय के नियोक्ता श्रमिक मन ल श्रम कानून के तहत उचित पारिश्रमिक देवत हे के नहीं। सरकार कहूँ "मोर राज मं मोर रोजगार" के अवधारणा ल लेके ये कदम उठाथे त छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ये बात ताल ठोक के कहि सकत हे के छत्तीसगढ़ के एको मजदूर न पलायन करही, न कोनो बीमारी ले मरही, भलुक सब मिलजुल के सरकार के राजस्व अऊ छत्तीसगढ़ के तरक्की बर काम करहीं।
जोहार छत्तीसगढ़, जय छत्तीसगढ़
श्री अमित बघेल
प्रदेश अध्यक्ष
छत्तीसगढ़िया कान्ति सेना
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श्री अमित बधेल प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना |
रायपुर : मौजूदा कोरोना त्रासदी ने हमें अपने जीने के रंग ढंग को बदलने के लिये मजबूर कर दिया है, यदि हम आज नहीं बदले तो हमारा अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा, यह कहना है छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित बघेल का। वो कहते हैं अनेक संगठन हमें शाकाहार या संयमित भोजन करने की सलाह दे रहे हैं, तो कोई सामाजिक दूरियों की शिक्षा दे रहा है, छतीसगढ़िया क्रान्ति सेना का यह कहना है, कि हमारे प्रदेश मे जितने भी कोरोना के प्रकरण आए हैं, वो सब के सब अन्य देशों या अन्य प्रदेशों से प्रवास करके पहुंचे व्यक्तियों द्वारा ही लाए गये हैं। कोरोना के रोकथाम के लिये सरकार द्वारा पहला ही कदम प्रदेश की सीमाओं को सील करके, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों, एयरपोर्ट को बंद करके उठाया गया। क्यों न इसी अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए हमारी प्रदेश सरकार ऐसी नीतियों का निर्माण करे जिससे भविष्य में आने वाले ऐसे संकटों से सरलता से निपटा जा सके। सामान्य दिनों में एक संघीय गणराज्य मे यह संभव नहीं है, कि हम अपनी प्रादेशिक भौगोलिक सीमाओं पर कड़ाई कर लें लेकिन हम ऐसी नीतियां जरुर बना सकते हैं, जिससे हमारे प्रदेश के मूल निवासी अकुशल, कुशल श्रमिकों से लेकर उच्चशिक्षित अभियंताओं, प्रबंधकों, प्राशासनिक अधिकारियों को नौकरी के लिये अन्य प्रांत जाना ही न पड़े।
अमित बघेल कहतें हैं कि यह क्रान्ति सेना का आंकड़ाबद्ध अध्ययन है कि छत्तीसगढ़ के उद्योगों में, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में, शिक्षा संस्थानों में और प्रशासन में जितने अन्य प्रांत के लोग कार्यरत हैं। उन स्थानों को छत्तीसगढ़ के यथायोग्य स्थानीय लोगों के द्वारा बड़ी सरलता से भरा जा सकता है, उन सभी प्रकार की अर्हताओं को पूरा करने में छत्तीसगढ़ के मूल निवासी पूर्णतः सक्षम हैं। उदाहरण के लिये भवन निर्माण कला में छतीसगढ़िया श्रमिकों का देशभर में लोहा माना जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में चल रहे भवन निर्माण कार्यों मे दूसरे राज्यों के श्रमिकों से कार्य कराया जाता है। अपने प्रदेश के अवसरों को बेवजह परप्रांतियों के द्वारा भरे जाने के कारण ही आज लाखों की संख्या में छत्तीसगढ़ के लोग या तो बेरोजगार हैं या बाहर जाकर काम करने को मजबूर हैं और वे आज के संकटकालीन स्थितियों में अन्य राज्यों में भूख से बिलखते पड़े हैं या पैदल चलते चलते सड़कों पर प्राण त्याग रहे हैं। ठीक यही स्थिति अन्य राज्यों के लोगों की भी है जो आज महामारी के कारण छत्तीसगढ़ छोड़कर बाहर जा रहे हैं। परिणाम यह हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य सहित प्रवासियों के मूल प्रदेश की सरकारें भी चिंतित और परेशान हैं। वे सभी लोग वर्तमान बीमारी को एक राज्य से दूसरे राज्यों में खतरनाक ढंग से प्रसारित कर रहे हैं।
अमित बघेल आगे कहते हैं कि हम एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हुए छत्तीसगढ़ सरकार से ये आग्रह करते हैं कि "मोर राज म मोर रोजगार" की शुरूआत वर्तमान में कोरोना से बंद पड़े उद्योगों के साथ कर सकते हैं। इन उद्योगों से जो श्रमिक अपने मूल प्रदेशों में लौट चुके हैं उन्हें उनके स्वयं के राज्य के उद्योगों में समायोजित होने के लिये छोड़ दिया जाय। छत्तीसगढ़ के उद्योगों में नये सिरे से जहां तक संभव हो सके छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को कानून नियुक्ति देने के लिये उद्योगपतियों को आदेशित किया जाय। इससे छत्तीसगढ़ में लाखों खर्च करके शिक्षित हुए बेरोजगार युवा पीढ़ी की बेरोजगारी की समस्या हमेशा के लिये दूर हो जाएगी। हर वर्ष हो रहे पलायनों से सरकार की होने वाली किरकिरी भी रुक जाएगी, सरकार केवल इतना ही निगरानी कायम रखे कि नियोक्ता श्रमिकों को श्रम कानूनों के तहत उचित पारिश्रमिक दे रहा है कि नहीं। सरकार यदि "मोर राज म मोर रोजगार" की अवधारणा को लेकर यह कदम उठाती है तो छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना यह बात ताल ठोक कर कह सकती है कि छत्तीसगढ़ का एक भी मजदूर न पलायन करेगा, न किसी बीमारी से मरेगा बल्कि सब मिलजुल कर सरकार के राजस्व और छत्तीसगढ़ की तरक्की के लिये काम करेंगें।
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छत्तीसगढ़िया बघवा- श्री अमित बघेल |
कोरोना ल हरवाय के हथियार "मोर राज मं मोर रोजगार" : अमित बघेल
रायपुर : अभी हाल के कोरोना खतरा ह हमला अपन जीए के रंग ढंग ल बदले बर मजबूर कर देहे हे, कहूँ हम आज नइ बदलेन त हमर अस्तित्व ही ह खतरा म पर जाही, ये कहना हे छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित बघेल के। उमन कहिथें के बहुत अकन संगठन हमला शाकाहार या संयमित भोजन करे के सलाह देवत हें, त कोनो सामाज म छट्टा-छट्टा रहे के शिक्षा देवत हें, छतीसगढ़िया क्रान्ति सेना के ये कहना हे, के हमार प्रदेश म जतका कोरोना के प्रकरण आए हे, वो सब के सब आन देश या आन प्रदेश ले प्रवास करके पहुंचे मनखे मन ही लाए हें। कोरोना के रोकथाम बर सरकार कोति ले पहलिच कदम प्रदेश के सीमा मन ल सील करके, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, एयरपोर्ट ल बंद करके उठाए गए हे। काबर न इही अवधारणा ल आगू बढ़ात हमर प्रदेश सरकार अइसन नीति मन के निर्माण करय जेखर से भविष्य म अवइया अइसन संकट मन ले सरलता ले निपटे जा सकय। सामान्य दिन म एक संघीय गणराज्य म ये संभव नइ हे, के हम अपन प्रादेशिक भौगोलिक सीमा म कड़ाई कर लेवन फेर हम अइसन नीति जरुर बना सकत हन, जेखर से हमार प्रदेश के असल निवासी अकुशल, कुशल श्रमिक मन ले लेके उच्चशिक्षित अभियंता, प्रबंधक, प्राशासनिक अधिकारी मन ल नौकरी बर आन प्रांत जानाच झन परय।
अमित बघेल के बताती क्रान्ति सेना के आंकड़ाबद्ध अध्ययन हे के छत्तीसगढ़ के उद्योग, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, शिक्षा संस्थान मन अऊ प्रशासन म जतका आन प्रांत के मनखे काम करत हें। वो जगा मन ल छत्तीसगढ़ के यथायोग्य स्थानीय मनखे मन ले बड़ सरलता ले भरे जा सकत हे, उंखर सबो प्रकार के अर्हता मन ल पूरा करे म छत्तीसगढ़ के असल निवासी पूर्णतः सक्षम हे। उदाहरण बर भवन निर्माण कला म छतीसगढ़िया श्रमिक मन के देशभर म लोहा माने जाथे, फेर छत्तीसगढ़ म चलत भवन निर्माण काम मन म दूसर राज्य के श्रमिक मन ले काम कराए जात हे। अपन प्रदेश के अवसर ल बिगर मतलब के परप्रांत के मनखे मन ले भरे के सेती आज लाखों के संख्या म छत्तीसगढ़ के मनखे या तो बेरोजगार हें या बाहिर जाके काम करे ल मजबूर हें अऊ ओ मन आज के संकटकालीन स्थिति मन म आन राज्य मन म भूख ले बिलखत परे हें या पैदल चलत चलत सड़क मन म प्राण त्यागत हें। ठीक इही स्थिति आन राज्य के मनखे मन के घलोक हे जऊन आज महामारी के सेती छत्तीसगढ़ छोड़के बाहिर जावत हें। परिणाम ये हे के छत्तीसगढ़ राज्य संग प्रवासी मन के संगे-संग प्रदेश के सरकार मन घलोक चिंतित अऊ परेशान हें। ओ सबो मनखे मन अभी हाल बीमारी ल एक राज्य ले दूसर राज्य म खतरनाक ढंग ले प्रसारित करत हें।
अमित बघेल आगू कहिथे के हम एक सकारात्मक सोच के संग आगू बढ़त, छत्तीसगढ़ सरकार ले ये आग्रह करत हवन के "मोर राज मं मोर रोजगार" के शुरूआत अभी हाल म कोरोना ले बंद परे उद्योग मन ले करे जा सकत हे। ए उद्योग मन ले जऊन श्रमिक अपन मूल प्रदेश म लहुट गे हें ओ मन ल ऊंखर अपन राज्य के उद्योग म एडजस्ट होए बर छोड़ दे जाय। छत्तीसगढ़ के उद्योग म नवा सिरा ले जहां तक संभव हो सकय छत्तीसगढ़ के असल निवासी मन ल कानून नियुक्ति दे बर उद्योगपती मन ल आदेशित करे जाय। एखर से छत्तीसगढ़ म लाखों खरचा करके शिक्षित होए बेरोजगार युवा पीढ़ी के बेरोजगारी के समस्या हमेशा बर दूर हो जाही। हर साल होवत पलायन ले सरकार के होवइया किरकिरी घलोक रुक जाही, सरकार केवल अतकेच निगरानी कायम रखय के नियोक्ता श्रमिक मन ल श्रम कानून के तहत उचित पारिश्रमिक देवत हे के नहीं। सरकार कहूँ "मोर राज मं मोर रोजगार" के अवधारणा ल लेके ये कदम उठाथे त छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ये बात ताल ठोक के कहि सकत हे के छत्तीसगढ़ के एको मजदूर न पलायन करही, न कोनो बीमारी ले मरही, भलुक सब मिलजुल के सरकार के राजस्व अऊ छत्तीसगढ़ के तरक्की बर काम करहीं।
जोहार छत्तीसगढ़, जय छत्तीसगढ़
श्री अमित बघेल
प्रदेश अध्यक्ष
छत्तीसगढ़िया कान्ति सेना
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