मैं अखबार हु जनाब हर रोज बदलता हु

  

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समाचार पत्र-अखबार-न्यूज पेपर



मैं अख़बार हु जनाब



सच को पन्नो में उकेरता हु,
रात भर जाग कर..खुद को सहेजता हु।
झूट को झूट सच को अच्छा कहता हूं,
मैं अखबार हु जनाब..हर रोज बदलता रहता हूं।।

ज्ञान भर के दुनिया का अपने समंदर में,
सभी ज्ञानियों को रोज डुबोता हु।
चाय की चुस्कियों के संग सब की पसंद का,
हर सुबह पूरा ख्याल रखता हूं।।

जब तक इस दुनिया मे जीता हु,
लोगों को ज्ञान बांटते रहता हूं।
कचरा हो या कमल का फूल,
सभी रिश्तों से हमेशा जूझता रहता हूं।

मैं अखबार हु जनाब.. हर रोज बदलता रहता हूं





कभी गरीबों के बिस्तर का चादर बन के,
उसके साथ सड़कों पर ही सोता हु।
कभी अमीरों के बड़े-बड़े बंगलों में,
कही कोने में बैठ कर रोता ह

रोज कई टुकड़ो में बदलता हु,
पन्नो सा कई बार बिखरता हु,
कभी कीचड़ से तो कभी कचरे से,
हर रोज पूरी उम्मीद के साथ लड़ता हु।

हर सुबह नई सोच के साथ जन्म लेता हूं,
जीवन की एक सच्चाई की तरह।
मैं रोज मरता और जीता हु।
मैं अखबार हु जनाब.. हर रोज बदलता रहता हु।

युवा कवि साहित्यकार
नाम- अनिल कुमार पाली,
पता- तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
मो. न:- 7722906664, 7987766416
कार्य- प्रशिक्षण अधिकारी ( आई.टी.आई मगरलोड)