विशिष्ट लेख- गर्मी में गंदा पानी पीने को मजबूर है लोग, garmi me ganda pani

पानी के मइला होये समस्या बढ़ बढहत जात हे।







गर्मी में गंदा पानी पीने को मजबूर है लोग

(गर्मी में गंदा पानी पीने को मजबूर है लोग)

गरमी भर पानी बर सब्बो डहर हाहाकार मचे रहिथे, अउ ये बेरा म अतना ग जाथे  की गरमी के प्रकोप ले चारो डहर पानी सूख जाथे तब कहु जा के मनखे ल पानी बचाये के विचार आथे, ये विचार ह जब पानी बने भरे रहिथे तब काबर नइ आये जब पानी बने सब्बो डहर भराये रहिथे जगह-जगह डबरा नरवा तालाब म पानी भरे दिखथे तब आना चाहि,तब पानी बचाये के बचाये के विचार आना चाहि, काबर की ओ बेरा म मनखे ल पानी बचाये के विचार आगे त गरमी के बेरा म पानी के होवइया कमी ले नइ जूझे ल पढ़ही, फेर जतका समस्या पानी के कमी के हे ओखर ले जादा बड़े समस्या मइला (दूषित) पानी के हे, काबर की पानी जादा होये या कम होये अगर मनखे के पिये के काम नइ आ सके त ओ पानी के कुछु महत्म नइ हे, कोनो भी ह बिना कुछु खाये रही सकथे फेर बिना पानी पिये जादा दिन तक नइ जी सके, अउ अगर जानवर के पिये के लाइक पानी हे त ओ पानी मनखे के कुछु काम नइ आये, अउ जतना पानी ल मनखे गंदा करथे उतना तो जानवर मन घलोक नइ करे, अउ वही मनखे मन मल त्याग कर के ओला कोनो भी नदी नाला म बोह देथे जेखर ले ओ पानी ल अतना मइला हो के महकथे के ओला कोनो जानवर मन घलोक नइ पिये, तेखर सेती जतका बड़े समस्या पानी के कमी के हे तेखर ले बड़े समस्या गंदा मइलह पानी के हे जेला सब्बो मनखे ल समझे ल परही।




अउ जोन पानी ह मनखे के पिये के नइ रहे तेखर उपयोग बड़का कारखाना वाला मन कर के ओला अउ जादा दूषित कर देथे, जेखर बाद ओ पानी ह सब्बो ल बीमार करें के काम म बस आथे, जेखर ले कईठन बीमारी महामारी फैईलथे, जेखर शिकार जानवर-मनखे पक्षी सब्बो झन होथे, तभो ले ये समस्या ल मनखे मन नइ समझे अउ एक दूसर ल दोषी बता के पानी के समस्या ल अउ बढहात जात हे,अतका समस्या होये के बाद घलोक पानी ल बचाये अउ शुद्ध करे के विचार मनखे के मन म नइ आही त येखर विनाशकारी रूप सब्बो जीव जगत ल देखे ल मिलही,


जागव रे संगी जागव रे सियान,
पानी ल बचाहु त बांचही सब्बो के प्ररान।





रचना युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली, छत्तीसगढ़िया तारबाहर बिलासपुर

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