जात-जात ल बाँटे हावै जात के ठेकेदार मन…! अनकटार लैं डाँड़ अउ पइसा खात हे ठेकेदार मन…!

 जात-जात ल बाँटे हावै जात के ठेकेदार मन…!

अनकटार लैं डाँड़ अउ पइसा खात हे ठेकेदार मन…!


बड़े-बड़े गौंटिया बने हे… न्यायधीस के बड़े ददा 

माई पिल्ला समाज के मुखिया भाई सारा कका बबा

अउ समाज के पढ़े लिखे मन मुड़ी गड़ा के बइठे हें

जुगुर-जागर जउन करत खात हें अपने-आप म अँइठे हें

अनगढ़-अनपढ़ बिगड़त हें  मरतेच हें न मोटावत हें 

नसा म करथें झगरा फसाद अउ सगा ल डाँड़ पटावत हें 

मंझोल परिवार खाए अघाए जम्मे झन पगुरावत हें

कत्तेक कुमत बर छाती कूटौं मोर अंतस लजावत हे

भाग-भगा के पेट भरइया पइसा के बड़ ओगरा आयँ 

एही गभार भुइयाँ आय अउ मुखिया मनखे बोवत खायँ

लाखों खा के अजगर बन अँटियात‌ हें ठेकेदार मन…!

अनकटार लैं डाँड़ आउ पइसा खात हे ठेकेदार मन…!!


घर-दूरा ल देखा ईंकर…नज्जर भर ले बने हवै

तल्ला उप्पर तल्ला, तल्ला उप्पर तल्ला तने हवै

एक जात के कई ठन फिरका सब फिरका म ठेकेदार

बइठ के सगा के छाती उप्पर सगेच दरथें मूंग के दार

एक जात म देसहा झेरिया अमका ढमका फलान ढेकान 

जुरमिल के मीत सखा बनी सुघ्घर बन जाय जान पहिचान 

पण्डित पण्डा अउ मुखिया मन करम के लेख कटइया कोन 

मोर करनी ला महिं भुगतिहौं…ईमन उदिम बतइया कोन 

ईंकर खाय म पाप कटाही अइसन फेर म झन रइहौ 

आगी छू के जरबे करिहौं छाती ठोंक के कहौ सहौ 

पइसा खाय बर जात म दाग लगात हें ठेकेदार मन…!

अनकटार लैं डाँड़ अउ पइसा खात हें ठेकेदार मन…!!



जोहन भार्गव 

सेंदरी बिलासपुर (छ.ग ) 

७९७४०२५९८५

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