छत्तीसगढ़ी भाषा ल आठवी अनुसूची म सामिल करवाना अब्बड़ जरूरी हवय।- अनिल कुमार पाली

 

लईका जब सबले पहली गोठियाय बर

सिकथे त महतारी भाषा म गोठियाथे।



छत्तीसगढ़ी भाषा ल आठवी अनुसूची म सामिल करवाना अब्बड़ जरूरी हवय।-

कोनो भी राज्य म उन्हा के भासा ह राज्य के चिन्हा होथे जेखर ले वो राज्य के मनखे मन दूसर जगह जाये के बाद घलोक चिन्हाथे, कोनो मनखे कोनो दूसर राज्य म जाही त वोला देख के कोनो सही अंदाज नइ लगा सके के मनखे ह कोन देस कोन राज्य के हवय, जब मनखे ह गोठियाथे त ओखर बोली ल सुन के तुरते समझ म आ जाथे के मनखे ह फलाना राज्य के फलाना देस के रहने वाला हवय अइसने सबो राज्य के अपन पहिचान (चिन्हा) उन्हा के भासा हवय वइसने छत्तीसगढ़ राज्य के चिन्हा ओखर भासा छत्तीसगढ़ी हवय जेला सुन के मनखे चिन डारथे के मनखे ह छत्तीसगढ़िया आये अउ ओहि ह ओखर मूल चिन्हा कहिलाथे।


तभे कहिथे के जब लईका जनमथे त ओ ह सब के गोठ ल सिर्फ सुनथे अउ सुनत रहिथे तहा जइसे लईका के गोठियाय के दिन आथे त लईका ह सबले पहली अपन महतारी के गोठियाये गोठ ल  जेला लईका ह सुनत रहिस हे सबले पहली ओहि ल गोठियाय ल सुरु करथे, त सुने बेरा म सबले जादा धियान ले अपन महतारी के गोठियाये गोठ ल सुनथे फेर ओहि गोठ ल चिन-समझ के महतारी के बोले भासा म गोठियाना सिकथे, अउ जेन पहली भासा लईका ह अपन महतारी ले सुनथे,चिनथे, समझते तेने ल गोठियाय बर सुरु करथे, जइसे-जइसे लईका बड़े होथे ओही भासा ह लईका के गोठियाय के सीखे के भासा बन जाथे जेमा पढ़ाई-लिखाई करे ले लईका के सोचे-समझे के छमता ह बढ़ जल्दी बढ़ते, ऐखरे कारन जब लईका के पहली सिक्छा के सुरुवात करे जाये त शिक्षा के माध्यम महतारी भासा म होना चाहि।
अब छत्तीसगढ़ म घलोक सब्बो कोती हमर महतारी भासा म पढ़ाई लिखाई करे के के गोठ ह आघु बढ़त जात हे, तभो ले कइठन समस्या अइसने आही जेन ह छत्तीसगढ़ी म शिक्षा के रददा ल रोकही जेला तिरिया के भासा के सम्मान ल आघु बढ़ाये ल लगही, अउ ये सम्मान ह तब आही जब छत्तीसगढ़ राज्य म सबो कोती छत्तीसगढ़ी भासा ह सासकीय बुता के भासा बनही, छत्तीसगढ़ी भासा ल काम-काज के बुता के भासा बना के अनुसूची म सामिल करही, छत्तीसगढ़ी भासा ल अनुसूची म लाना अब्बड़ बिचारनी बिसय हवय जेल बिचार करना अब्बड़ जरूरी हे, वइसे तो छत्तीसगढ़िया मन ल अपन भासा गोठियाय बर कोनो अनुसूची तो नइ लगे फेर भासा ल परदेस के इस्तर ले उठा के देस के इस्तर तक उठाये बर भासा ल भारत के बाईसवी अनुसूची म सामिल होना अब्बड़ जरूरी हवय, अनुसूची म सामिल होना ही छत्तीसगढ़ी भासा के अइसे रददा हे जेन ह छत्तीसगढ़ी भासा ल नवा युग म लाके खड़ा कर दिही ऐखर बाद सब्बो जगह भासा के सम्मान अपने-अपन बढ़त जाही।छत्तीसगढ़िया मन के भासा छत्तीसगढ़ी हवय अउ ओहि भासा के आधार म छत्तीसगढ़िया मन के बिकास जल्दी होही एही गोठ ल छत्तीसगढ़िया मन ल समझना हवय, दूसर के बोली भासा संस्करीति के पिछु भागत हमन अपन छत्तीसगढ़िया अस्तित्व ल गांवत जात हन जेखर कारन हमर अपन संस्करीति बोली भासा होवत भी छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भासा ह जन-जन के भासा नइ बन पात हे।

युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली
तारबाहर बिलासपुर
मो न:-7722906664

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