आवव हसदेव बचावव"
जल जंगल जमीन म संगी, देखव विपदा भारी हे
आज भले तैं बइठे चुप्पे, काली तोरो पारी हे
हवा सिराही, पानी सिराही, बिजली काम नइ आहि
होके लाचार बइठे रहिबे , ओ प्रकृति रूप देखाहि
न चिरगुन के चहक सुनाही, ना कौवा के कांव
भालू आहि तोर घर म, अउ हाथी आहि गांव
नटखट बेंदरा चातुर कोलिहा, ना बाचही बघवा राजा
चार-तेंदू ना मउहा बाचे, ना बीजा ना साजा
भीड़ जुलूस अउ रैली देखेन, धरना आनी-बानी के
नइ करत हो चिन्ता काबर, आज हवा अउ पानी के
जाति-धरम बर लड़ेव बहुत, अब काबर नइ सकलावव
प्रकृति सबले बड़का हे, आवव हसदेव बचावव
अमित नेताम
ग्राम गाड़ाघाट, तहसील छुरा
जिला गरियाबंद (छ.ग.)
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