हँसदेव ल बचाई
आवा जुर-मिल के हँसदेव ल बचाई…!
नसात हावै जीव कटत हे रूख-राई…!!
भारी समरिद्धि छुपाए हावै कोरा म
जीव-जंतु ल लुकाए अंँचरा म
हीरा सोना तांबा कोयला के परभुताई…!
नसात हावै जीव कटत हे रूख-राई…!!
चार मऊहा जड़ी-बूटी के भरमार
दुरलभ पेड़ म काल के कटार
लोभी सरकार करथे अगुवाई…!
नसात हावै जीव कटत हे रुख राई…!!
कोइला निकाले बर जीव के बलि
पूंजीवादी सासन मचादिस खलबली
कारखाना जेकर ओकरे हाथ म मलाई…!
नसात हावै जीव कटत हे रूख-राई…!!
सरगुजा के दूध गए दोहनी झटक लिस
सत्ता के अजगर जंगल गटक लिस
हजारों परिवार के खतम कमाई…!
नसात हावै जीव कटत हे रूख-राई…!!
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के संग चलौ
धरना आंदोलन म आघू बढ़ौ
विधानसभा भवन म देखावा एकताई…!
नसात हावै जीव कटत हे रूख-राई…!!
कटकटाय बन आक्सीजन भण्डार
एक-एक बीमारी के अचूक उपचार
आनी-बानी के इहांँ बिक्कट दवाई…!
नसात हावै जीव कटत हे रूख-राई…!!
कवि- जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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