(होली गीत)
घेरी-बेरी पोता!!
घेरी-बेरी पोता मुँह गाल पोता…!
अंग-अंग रंग अऊ गुलाल पोता…!!
पाँच छेना ले के पहिली भेंट करब जाय
काम क्रोध लोभ अहंकार जरि जाय
दोष अवगुन होली म हो रीता…!
अंग-अंग रंग अउ गुलाल पोता…!!
बरती दीया के अंजोर सबके घर
रहय अंधियार कहूँ न कोनो के डर
तन-मन धन ले रहव सुभित्ता…!
अंग-अंग रंग अउ गुलाल पोता…!!
दिल मिले चाही जो रपोटे के हे साध
दुख-सुख म घलो धरव अंगठी हाथ
होली के तिहार झन रहय फीक्का…!
अंग-अंग रंग अउ गुलाल पोता…!!
जोहन करय विनती सुनव संगी
नसा करव न काम लंदी-फंदी
पी के एती-तेती न गिरा न सूता…!
अंग-अंग रंग अउ गुलाल पोता…!!
कवि- जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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