छत्तीसगढ़ी होली गीत- अंग-अंग रंग म भीगा ले, कवि जोहन भार्गव जी सेंदरी बिलासपुर।

 (होली गीत)


 अंग-अंग रंग म भीगा ले…!!

अंग-अंग रंग म भीगा ले सजनिया…!

आजा पिचकारी के मज़ा ले सजनिया…!!

लाल-लाल परसा के फूल प्रेम रंग ए 

मिले बिन पीरा गड़े शूल प्रेम रंग ए 

थोर-थोर काँटा हटा ले सजनिया…!

आजा पिचकारी के मजा ले सजनिया…!!

जवानी काये मीना बजार मोर जान

अंग-अंग मेवा-मिठाई के दूकान 

मेवा-मिठाई ल चिखा ले सजनिया…!

आजा पिचकारी के मजा ले सजनिया…!!

धक-धक धड़कत दिल अउ धड़क जाय 

गीला सुक्खा लकड़ी होली म धधक जाय 

काँड़ी संग माचिस घिसा ले सजनिया…!

आजा पिचकारी के मजा ले सजनिया…!!

दुनिया के डर लोकलाज ल भूला के मिल

नदी संग नदिया बन के समा के मिल 

होली म अउ होली एक जला ले सजनिया…!

आजा पिचकारी के मजा ले सजनिया…!!

नागिन कस चूंदी बर सँवरा बन जाहूँ तोर 

मन के आस्तीन म डेरा बनाहूँ‌ तोर 

प्रेम धुन गा ले बजा ले सजनिया…!

आजा पिचकारी के मजा ले सजनिया…!!


कवि- जोहन भार्गव जी

 सेंदरी बिलासपुर छत्तीसगढ़

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