रंग-गुलाल के तिहार होली म हुड़दंग
मचा के तिहार के पहिचान अउ
महत्व ल बरबाद करे जात हे-
पूरा देश म होली के तिहार बढ़ धूम-धाम ले मनाये जाथे, वइसने हमर छत्तीसगढ़ म घलोक होली के तिहार ल अलग-अलग रूप म मनाये के परंपरा हे, धर्म अउ संस्करीति दुनो के मिले ले होली के तिहार रंगीन हो जथे, फेर कुछु तथाकथित मनखे मन होली ल हुड़दं अउ नशा के तिहार मान के ऐखर महत्व ल बिगाड़े के बुता करथे, छत्तीसगढ़ म होली मतलब होरी तिहार ह बसंत पंचमी ले सुरु हो जथे एहि दिन अंडा पेड़ के लकड़ी डारा के पूजा-पाठ कर के जेन जगह होलिका दहन करना हे तेन जगह गड़ाये जाथे, ओहि दिन ले होली के तिहार ह सुरु हो जथे। होली तिहार के दिन देवी-देवता के सुमिरन के संग रंग-गुलाल के घलोक पूजा-पाठ करे के परंपरा हमर संस्करीति म हवय जेखर बाद होली के रंग एक-दूसर ल लगा के तिहार के बधाई देथन।
फेर कई झन मनखे मन होली तिहार ल हुड़दंग अउ नसा के तिहार मान डरे हे, जेखर कारन तिहार के मूल अस्तित्व नंदावत जात हे, अइसने करईया मनखे मन के सेती हमर तिहार के नाव खराब होवत जात हे, जेन होली के तिहार ले इतिहास के कई ठन किस्सा-कहानी जुड़े हे ओमा नसा कर के हुड़दंग करना समाज बर बड़का दुष्प्रभाव हे, जेखर से अवइया नवा पीढ़ी बर तिहार के जुन्ना महत्व समाप्त हो जही अउ यही सब हुड़दंग के सेती कोनो मनखे आपस म मिल के तिहार मनाये ले डरराही।
युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली
तारबाहर बिलासपुर
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