चला होलिका दाई मेर भेंट करे जाई…! छेना संग जरो देबो अपनो बुराई-कवि- जोहन भार्गव जी सेंदरी बिलासपुर

 होलिका दाई मेर भेंट…!!



चला होलिका दाई मेर भेंट करे जाई…!

छेना संग जरो देबो अपनो बुराई…!!


फागुन के पुन्नी कस अंजोर रहय मन

बिना भेदभाव के बुकाय रहय तन 

गुलाल बुक-बुक के रंग म नहाई…!

छेना संग जरो देबो अपनो बुराई…!!

चला होलिका दाई मेर भेंट करे जाई…!


लोभ हर जरोवत हावय दया अऊ ममता 

सोच हर सनात हे नसात हे मानवता 

छल छिद्र होगे आजकाल चतुराई…!

छेना संग जरो देबो अपनो बुराई…!!

चला होलिका दाई मेर भेंट करे जाई…!!


धरम के मरम ल मनखे भुलात हे

सरल प्रहलाद मन ले जम्मो के नंदात हे

कब तक जरोबो प्रहलाद होलिका दाई…!

छेना संग जरो देबो अपनो बुराई…!!


कवि- जोहन भार्गव जी

 सेंदरी बिलासपुर



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