हरियर छत्तीसगढ़ बनाबो।
आवव संगी मिल-जुल के पेड़ लगाबो,
हरियर नवा छत्तीसगढ़ बनाबो।
आमा-पीपर-नीम के रुख ल,
संग म मिल के हमन सबो कोती जगाबो।
हमर धरती दाई के कोरा ल,
हरियर-पिवरा रंग ले सजाबो।
तिपत हमर छत्तीसगढ़ के भुइँया ल,
पेड़ के छांव म जुड़ाबो।
आवव संगी हरियर छत्तीसगढ़ बनाबो....।।
पेड़ सबो कोती लगाये ले होही हरियर भुइँया,
नाचत-गावत खुशी मनावत आही करिया बादर संग बरसा।
पेड़ लगाबो त धूल-धुंवा परदूसन ले हमला बचाही,
ताजा हवा बगरा के सबो मनखे ल स्वस्थ बनाही।
फैक्टरी ले निकलत करिया धुंवा ले अपन घर ल बचाबो,
पर्यावरण ल ऑक्सीजन देवइया पेड़ सबो कोती लगाबो।
गांव-शहर सबो कोती पर्यावरण बचाये के संदेश बगराबो।
आवव संगी मिल-जुल के पेड़ लगाबो,
हरियर नवा छत्तीसगढ़ बनाबो।
युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली
तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
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