सामाजिक सेवा संस्थान…!!
करही सिक्षित रोजगरिहा समाज के नव निर्मान…!
लोकमाता अहिल्याबाई सामाजिक सेवा संस्थान…!!
वादा हावय दुख म संग देबो
निरदयी पीरा गरीबी हरबो
हर-घर के जन-जन ल बनाही नसामुक्त गुनवान…!
लोकमाता अहिल्याबाई सामाजिक सेवा संस्थान…!!
अगस्त सन् दू हजार बीस
उदार पचास परिवार जुरिस
संकल्प हे के तन-मन-धन ले गढ़बो नवा बिहान…!
लोकमाता अहिल्याबाई सामाजिक सेवा संस्थान…!!
दोखहा कोरोना बिकट पेरिस
सल्लग बेवपार धंधा ल टोरिस
दू-दी बछर ले पेराएन तभो ले भेजवाइस अनुदान…!
लोकमाता अहिल्याबाई सामाजिक सेवा संस्थान…!!
हर घर म खुसहाली रहय
कोठी दल भरे थारी रहय
हमर गड़रिया समाज के हर चेहरा म रहय मुस्कान…!
लोकमाता अहिल्याबाई सामाजिक सेवा संस्थान…!!
हाँसत लइकन फूल बगइचा
मुखिया मन घलो दुख ले सुभित्ता
छोटे-छोटे उद्योग चलाय बर आघू रही संस्थान…!!
लोकमाता अहिल्याबाई सामाजिक सेवा संस्थान…!!
सम्पन्न सरल समाज रहय
दया मया अउ लिहाज रहय
तुलसी चौंरा के दिया नोनी, बाबू मन अंगना के सान…!
लोकमाता अहिल्याबाई सामाजिक सेवा संस्थान…!!
भेंड़ी-छेरी के संग छूटगे
खेती बेंचागे करम फूटगे
अलग-बिलग भाई-भाई ईंखर लहुटाही स्वाभिमान…!
लोकमाता अहिल्याबाई सामाजिक सेवा संस्थान…!!
ईंटा कस जन-जन ल जोर के
समता भाव म चिभोर-चिभोर के
अनीत के आघू रही संघ के हर जन सीना तान…!
लोकमाता अहिल्याबाई सामाजिक सेवा संस्थान…!!
रचना
कवि- जोहन भार्गव जी
गड़रिया समाज सेंदरी बिलासपुर।
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