बहुत होगे अब बंद करव…!!
मंदिर मस्जिद मठ गुरुद्वारा बहुत होगे अब बंद करव !
धरम के नाव म काटा मारा बहुत होगे अब बंद करव !!
राम कहे बर गुनव राम ल मसीह के बंदा गुनव मसीह
कबर ल मस्जिद पाछू बनाहा मन बनय मानवता डीह
ईश्वर नो हय सिरमिट गारा बहुत होगे अब बंद करव !
धरम के नाव म काटा मारा बहुत होगे अब बंद करव !!
अगम अगास ल रचने वाला गली खोल म रइही का
बांद छांद के रखबो ओला फेर कहिबो आ आही का
अंतस भीतरी झाँका निहाँरा बहुत होगे अब बंद करव
मंदिर मस्जिद मठ गुरुद्वारा बहुत होगे अब बंद करव
रिश्वत म सिस्टम बेंचागे परमारथ कहाँ दिखही
नजर नीयत के अनगढ़ मनखे प्रभु कहूँ अइसे रिझही
घट-घट रोपा भाईचारा…बहुत होगे अब बंद करव
मंदिर मस्जिद मठ गुरुद्वारा बहुत होगे अब बंद करव
मानवता अपनावा संगी मानवता बर जीयव मरव
आन के दुख ए जहर हलाहल कभू तो शिव बन पिये करव
धन बर कपट के फांदा चारा बहुत होगे अब बंद करव
मंदिर मस्जिद मठ गुरुद्वारा बहुत होगे अब बंद करव
हिरदय ल हिमालय बना के सुग्घर ऊँच शिखर देवव
सोच बिचार ल गंगाजल कस थोरकिन निरमलता देवव
एकर पाछू ओला पुकारा…बहुत होगे अब बंद करव
मंदिर मस्जिद मठ गुरुद्वारा बहुत होगे अब बंद करव
आनी-बानी के नाव रूप म परमपिता ल बाँटत हन
सोच-सोच म साँस-साँस म मानवता ल गाड़त हन
सुखी दुखी के बनन सहारा…बहुत होगे अब बंद करव
मंदिर मस्जिद मठ गुरुद्वारा…बहुत होगे अब बंद करव
कवि- जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर (छ.ग)
0 Comments
अपने विचार सुझाव यहाँ लिख कर हमें भेजें।