एक फूल महूँ ल खोंच ले
फूल गुच्छा कस खोपा म एक फूल महूँ ल खोंच ले…!!
गमक जाही हिरदय के गोंदा दमक जाही तन सोच ले…!!
लहरा के दहरा नापे बर कोसिस काहे करना
आँखी के काजर ले आगर हो के बोहाही झरना
ओइ दिन सुरता करबे मोर ले बे नाव वइ रोज ले…!
गमक जाही हिरदय के गोंदा दमक जाही तन सोच ले…!!
कतको फूल सजा जूरा म मोंगरा चंपा चमेली
महिच महीं तोर नजर म झुलिहवँ सुनबे सुनाबे अकेली
अमरइया के कोइली ल अमरइया म खोज ले…!
गमक जाही हिरदय के गोंदा दमक जाही तन सोच ले…!!
कमल पंखुड़ी पुतरी तोर बीच म भौंरा करिया मैं
मोर छूए म अति सुहाबे तैं बंसी कनहइया मैं
अंग अंग म राग सम्हरही मिलय ओंट जब ओंट ले…!
गमक जाही हिरदय के गोंदा दमक जाही तन सोच ले…!!
कवि- जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर (छ.ग)
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