हस्तिनापुर बर काल के मुँह म…!!
अभेद्य व्युह ल सोला बछर म टोर अमाइस अभिमन्यु !
हस्तिनापुर बर काल के मुँह म जा समाइस अभिमन्यु !!
पांडव मन के रहिस दुलरुवा कृष्न घलो बड़ प्रेम करयँ
एक तो भाँचा अति बहादुर ज्ञान ल जल्दी सिखयँ धरयँ
दाई के ओदर म रइ व्युह के भेद ल पाइस अभिमन्यु !
हस्तिनापुर बर काल के मुँह म जा समाइस अभिमन्यु !!
कौरव दल के सेनापति द्रोण रचे रहिस व्युहरचना
अर्जुन छोड़ के सब पांडव ल फांदा म रहिस फँसना
चक्रव्यूह म बड़े ददा बर स्वयं झपाइस अभिमन्यु !
हस्तिनापुर बर काल के मुँह म जा समाइस अभिमन्यु !!
चक्रव्यूह के केंद्र बिंदु तक हबरिस काटत मारत वो
करन असन महारथी रथी मेर जूझत अउ हरावत वो
जाये के तउर-तरीका जानय जा के घेराइस अभिमन्यु !
हस्तिनापुर बर काल के मुँह म जा समाइस अभिमन्यु !!
बड़े-बड़े महायोद्धा मन घेर तो पाइन योद्धा ल
वहू निहत्था परगे बीर गोद डारिन वो लइका ल
सोला बछर के बलिदानी बन नाव कमाइस अभिमन्यु !
हस्तिनापुर बर काल के मुँह म जा समाइस अभिमन्यु !!
धरम के इस्थापना करे बर कृष्न लिहिन अवतार जब
लीला देखे बर देवी-देवता घलो लिहिन अवतार तब
चंद्रदेव के बेटा वर्चा अल्पायु लिखा लाइस अभिमन्यु !
हस्तिनापुर बर काल के मुँह म जा समाइस अभिमन्यु !!
कवि- जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर (छ.ग)
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