छत्तीसगढ़ के रेगिस्तान हमर बेलासपुर म (व्यंग)
आप मन भारत म रेगिस्तान देखे होहु फेर हमर छत्तीसगढ़ के बेलासपुर जिला म घलोक रेगिस्तान हे जेमा अब्बड़ अकन रेती भराये हे, अउ ये रेगिस्तान ल दुरिहा ले देखव के तीर म जा के देखव आप मन ल दुररिह-दुरिहा तक रेती बस ह दिखही अउ थोड़ा बहुत कचरा घलोक ह दिख जाही, अउ ये रेगिस्तान के खास बात ये हवय की ये ह सब्बो बछर म दिखाई नइ देवय येहा गरमी के बेरा म बस दिखाई देथे तेखर बाद पानी गिरथे त लुका जाथे, फेर कभू-कभू जाड़ अउ बरसात म घलोक दिखथे, ये रेगिस्तान ह हमर छत्तीसगढ़ के नदिया म खोदाई करइया ठेकेदार मनखे मन के बढ़ मेहनत के फल हे कि उखर अतना मेहनत करे ले हमर छत्तीसगढ़ के बेलासपुर म घलोक रेगिस्तान देखे बर मिल जाथे, जेला देख के बेलासपुर के मनखे मन बढ़ खुश होथे, अउ दुरिहा-दुरिहा ले मनखे मन बेलासपुर के रेगिस्तान ल देखे बर आथे, जेखर बर ओहि रेगिस्तान मेर ओखर तीर म मनखे मन के किंजरे बर बइठे बर बने ब्यवस्था करे गे हे जेखर भी मन एक बार म हमर बेलासपुर के रेगिस्तान ल देख के नइ भरे ओ हा इहा बइठ के जतका चाहे ओतना देर ले बेलासपुर के रेगिस्तान ल देख के अपन मन ल मढ़ा डालथे, फेर मैं ह जतका घव ओ मेरे ले गुजरथव त मोर मन ह ओ रेगिस्तान ल देख के अब्बड़ कल्लशी लागथे,
काबर के अइसने रेगिस्तान के जरूरत हमर बेलासपुर ल नइ हे हमर बेलासपुर ल बने सुग्घर नदिया असन बोहात रहिथे तेन ह बने लगथे, अभी भी आप मन ये सोचत होहु के मैं ह कोन रेगिस्तान के बात करत हव अउ छत्तीसगढ़ म कहाँ ले रेगिस्तान आगे त आप मन ह एक घव अभी के बेरा म हमर बेलासपुर के 'अरपा' नदी ल एक घव जा के देखहु त आप मन ल मोर बात म थोड़कुन भरोसा हो जही, काबर के अभी के बेरा म हमर अरपा नदी ह रेगिस्तान बरोबर दिखथे अउ उहा रेते-रेत दिखही आपमन ल अउ कुछु नइ दिखही अउ दिखही भी त रेती ले भरे गंदगी दिखही जेन ह हमर बेलासपुर के मनखे मन के देन हे जेखर ले दिन ब दिन अरपा नदी ह सुखात जात हे अउ कचरा के ढेर बनत जात हे, उहा बोहात नदिया के पानी आप मन ल देखे बर नइ मिलही काबर के हमन ह ओला कचर के ढेर बना डारे हन अउ उहा कचरा गंदगी ल ला के डाल देथन फेर ओखर रख रखाव अउ ओखर विकास के बारे म नइ सोचन, तेखरे सेती जइसे-जइसे दिन ह बीतत जात हे वइसे-वइसे नदिया ह अपन सुग्घर रूप ल त्याग के सुक्खा माटी रेती बरोबर दिखे लगे हे,जेखर बारे मे कोनो ह नइ सोचत हे, फेर नदी ह नइ सुखात हे सुखात तो बेलासपुर वासी मन जीव हे, जेखर ले एक समय आये के बाद बने सुग्घर पानी नइ मिल पाही तब फेर जा के इहा के मनखे मन ल समझ आहि अउ तब के बेरा म समझ आहि तेहु क काम के कहिथे न जब चिरई ह झररा डारिस धान ल त लुवे के का फायदा अउ का नुकसान। त आप सब्बो झन समझदार हव त अपन नदिया ल बचाये के जतका हो सकथे ओतका परयास करव अउ नदिया बचात हव कई के परयास झन करव अपन परान ल बचात हव कई के परयास करव फेर देखहु अरपा नदी के विकास जरूर होही अउ पूरा बेलासपुर के मनखे के विकास होही जब नदिया ह लहर-लहर बोहाई त ओला देख के सब्बो मनखे के तन-मन सब्बो ह स्वास्थ्य हो जही, त आप सब्बो झन ले निवेदन हे कि अपन नदिया ल बचाये के पूरा-पूरा परयास करव।
जय जोहार, जय छत्तीसगढ़, जय छत्तीसगढ़िया।
सुखाये नदिया ल देख के, मन कइसन कल्लाये,
आगी लगावत गरमी म, टोटा ह घलोक सुखाये।
कहाँ गे नदिया के पानी ह, कइसन ये सुखात जाये,
परिया पर गे चारो मुड़ा, कचरा भर ह भराये।
रचना
अनिल कुमार पाली छत्तीसगढ़िया
तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
मो.न. 7722906664
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