मीठ मया के डोरी

अइसने तोर मीठ मया के डोरी ले ,
मोर जिया ह धड़क-धड़क जाथे,
तोर ले दुरिहा जाये के बेरा म,
मोर मन ह बढ़ घबराथे।

कइसन बांधे हस अपन मया म,
कतका छोड़े नइ छोडाय,
सांझ-बिहनिया तोरे सुरता म
बेरा ह नइ घलोक सिराय।

मया के बसाये मोर मैना ल,
कइसे मन ह अब भुलाये,
देखे बिन तोला दिन ह गोरी,
येको कन नइ पहाये।

रही-रही के तोर सुरता ह,
करेजा ल मोर जराये,
कइसे बताओ बईही तोला,
कतका तय मोला भाये।

अइसे बांधे मोला मया के डोरी म,
तोर सुरता अब्बड़ मोला आये।

तोर मयारू-
युवा कवि साहित्यकार
अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
मो.7722906664




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